देखिये रेस्क्यू लाइव वीडियो , सीवरेज लाइन में काम कर रहे मजदूरों पर धंसी मिट्टी, मजदूर अंदर ही दबे

सुरक्षा और संसाधनों की दिखी कमी , लापरवाह प्रशासन, जनप्रतिनिधि ने अंदर उतरकर निकाले मजदुरों को, एक की मौत 



राहुल परमार , देवास 


देवास । देवास में सीवरेज एक मुख्य समस्या थी जिस पर कई बार जनप्रतिनिधियों ने श्रेय की राजनीति की। समय- समय पर इस समस्या पर मिडिया ने कई बार प्रशासन और जनप्रतिनिधियों को समाचारों के माध्यम से अवगत कराया लेकिन किसी ने योजना के लाने के श्रेय के अलावा कोई काम नही किया। आज दोपहर में जवाहर नगर के पीछे दुर्गा नगर में गहरी खोदी जा रही लाइन में काम कर रहे मजदुर कार्य कर रहे थे तभी उपर से मिट्टी धंस गई। मिट्टी में तीन लोग दब चुके थे। स्थानीय लोगों की मदद से एक व्यक्ति को पहले सुरक्षित बाहर निकाल लिया गया लेकिन दो लोगों के उपर मिट्टी और पाइप होने से उन्हें निकालने में काफी संघर्ष करना पड़ा। मौके पर पहुंची पुलिस, प्रशासन और नगर निगम की टीम की मदद से दोनों मजदूरों के लिए रेस्क्यू किया गया। जिसमें दूसरे मजदूर की मौके पर ही मौत हो गई तथा अन्य मजदुर को सकुशल बाहर निकाल लिया गया। मौके पर ठेकेदार कंपनी की ओर से कोई जिम्मेदार व्यक्ति नही था। 


 




इस दौरान पुलिस और प्रशासन का अमला मौके पर मौजुद था लेकिन सक्रियता नाम मात्र की थी। मुख्यालय की घटना में रेस्क्यू में इतना अधिक समय लगना कही न कही प्रशासन की कार्यप्रणाली पर प्रश्न उठाता है। वही मुख्यालय पर ही रेस्क्यू साधनों की इतनी कमी है तो दूर घटित दुर्घनाओं में आखिर आम आदमी किसका मुंह देखेगा ? इस दौरान क्षेत्रीय पार्षद रुपेश वर्मा ने अंदर उतरकर क्रेन की मदद से मजदूरों को रस्सी बांधकर बाहर निकाला । मौके पर पंहुची पुलिस, प्रशासन और नगर निगम की टीम ने रेस्क्यू को पूर्ण करने में कोई महत्वपूर्ण भूमिका नही निभा पाई। टीम होने के बावजूद जनप्रतिनिधियों की जान से खिलवाड़ कर रेस्क्यू में अंदर उतार गया। क्या देवास में रेस्क्यु के लिए कोई व्यक्ति उपलब्ध नही है ? 
गौरतलब है शहर में कई समय से सीवरेज लाइन में दुर्घनाओं का अम्बार लगा हुआ है। प्रत्येक सप्ताह कोई न कोई छोटी बड़ी घटना शहर में होती आ रही है लेकिन जिम्मेदार अपना पल्ला झाड़ते आ रहे हैं। सीवरेज योजना में चल रहे कार्यां पर वैसे जो निगम और योजना के ठेकेदारों को चल रहे कार्यों के स्थान पर होना चाहिये लेकिन वे भी मजदूरों के भरोसे होकर लापरवाही निभाने में कोई कसर नही छोड़ रहे हैं। 


देखिये वीडियो -




ठेकेदार की है घोर लापरवाही, कोई सुरक्षा उपकरण नही थे मौके पर 
घटना के बाद मौके पर पहुंची रेस्क्यू टीम मजदूरों को केवल क्रेन के भरोसे ही निकाल रही थी। उक्त योजना में मौके पर सुरक्षा उपकरणों और रेस्क्यू के लिए उचित संसाधनों की कोई व्यवस्था नही थी जिससे कि काम कर रहे मजदूरों को उपकरण के माध्यम से सकुशल बाहर निकाला जा सके। वहीं काम करने के दौरान भी मजदूरों को कोई सुरक्षा उपकरण प्रदान नही किये जाते । ऐसे में हेल्थ एंड सेफ्टी विभाग तथा श्रम विभाग को कुंभकरणीय नींद से उठने की आवश्यकता है। मजदुरों को कम दाम पर कार्य करवा रही ठेकेदार कंपनी के विरुद किसी विभाग ने अब तक संभवतः कोई कार्यवाही नही की है। ठेकेदारों द्वारा इन मजदुरों को कम दामों पर बाहर से काम के लिए परिवार सहित लाया जाता है, खाना पीना दिया जाता है और कम दामों पर इनसे बिना सुरक्षा उपकरणों से कार्य करवाया जाता है। इनके साथ लाये गए नाबालिगों से भी ठेकेदार काम करवाता है।  गड्ढे में गिरे मजदूरों में एक मजदुर नाबालिग भी बताया जा रहा है।  ऐसे में घटना होने के अवसर बढ़ जाते हैं। सीवरेज योजना में मजदूरों की हुई मौत का जिम्मेदार आखिर कौन है ? ठेकेदार, प्रशासन और जनप्रतिनिधियों की लापरवाही के कारण ही दुर्घटनाएं हो रही है। 



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