इंदौर में विकसित उन्नत किस्म ने किया कमाल, देवास के युवा किसान ने रचा इतिहास

देवास अनुसंधान केंद्र में विकसित उन्नत किस्म और उन्नत तकनीक को किसान अपनी मेहनत से निकले पसीने से रंग दे, तो इसका परिणाम लोगों के लिए प्रेरणा बन जाता है। कुछ ऐसा ही समन्वय देवास जिला के ग्राम पोलाय जागीर के युवा किसान लक्ष्मीनारायण के खेत में देखने को मिलता है जो कम लागत, कम पानी और अधिक उत्पादन के लिए अनुसंधान और कृषि विभाग के लिए नजीर बन गया है।
     दरअसल, 40 वर्षीय लक्ष्मीनारायण कुमावत ने पिछले वर्ष भारतीय कृषि अनुसंधान संस्थान के इंदौर स्थित क्षेत्रीय गेहूं अनुसंधान केंद्र में विकसित उन्नत किस्म तेजस की बोअनी की थी। उन्होने वैज्ञानिकों द्वारा बताई गई विधि से फसल की देखभाल की और एक हेक्टेयर में रिकार्ड 109 क्विंटल गेहूं का उत्पादन किया। लक्ष्मीनारायण एक लघु किसान हैं और उनके
पास मात्र 1.79 हेक्टेयर कृषि भूमि है। सिंचाई के लिए एक कुआं है जिसमें पर्याप्त पानी नहीं है। इसलिए वे सिंचाई के लिए स्प्रिंकलर का उपयोग कर रहे हैं। इससे वे कम पानी में भी अधिकतम उत्पादन करने में सफल हो रहे हैं।

     क्षेत्रीय लोक संपर्क ब्यूरो से नियमित प्रचार के दौरान लक्ष्मीनारायण ने बताया कि उन्नत तकनीक, प्रशिक्षण और उन्नत क़िस्मों का चुनाव तो अधिक उत्पादन के लिए जरूरी है लेकिन मृदा का परीक्षण और कृषि भूमि में पोषक तत्वों का प्रबंधन सबसे महत्वपूर्ण है। उनके पास मात्र दो गाय हैं और उनसे प्राप्त गोबर तथा कृषि अवशेष से अपनी जरूरत का कंपोष्ट
खाद बना लेते हैं। कीट नियंत्रण के लिए नीम तेल और छाछ से बनाई दवाई का उपयोग करते हैं। बेल के फल के गुदा और गुड़ से दृव्य पोटाश का निर्माणकरते हैं। वैसे देखा जाये तो खाद, बीज और दवाई की एक छोटी सी प्रयोगशाला बन गया है लक्ष्मीनारायण का खेत।

     इस वर्ष लक्ष्मीनारायण ने दशमलव .60 हेक्टेयर क्षेत्र में 75 किलोग्राम तेजस बोया है। इसके अलावा 5 किलोग्राम शर्करा मुक्त काला गेहूं की भी बोअनी की है। काला गेहूं की फसल की खासियत है कि यह 35 डिग्री सेल्सियस में भी जीवित रहती है। पिछले वर्ष उन्नत किस्म तेजस का बीज तैयार कर लक्ष्मीनारायण ने आसपास के कुछ किसानों के साथ नरसिंहपुर,
पिपरिया, डिंडोरी, भिंड, खातेगांव, हरदा, सीहोर आदि के करीब 50 किसानों को भी बीज उपलब्ध कराया है। लक्ष्मीनारायण ने किसान उत्पादक संघ बनाया है तथा इससे करीब एक हजार किसानों को जोड़ने का लक्ष्य रखा है। इस संघ के माध्यम से मृदा परीक्षण के लिए एक लघु प्रयोगशाला अगले दो तीन माह में स्थापित हो जाएगी। करीब 80-90 हजार रूपये की लागत से स्थापित होने वाली इस प्रयोगशाला में प्रतिदिन मिट्टी के 25 से 30 नमूनों की जांच की जा सकेगी।




लक्ष्मीनारायण का मानना है कि केंद्र सरकार द्वारा शुरू की गई मृदा स्वास्थ्य कार्ड योजना का सफल कार्यान्वयन और कम लागत, कम पानी और अधिक उत्पादन के साथ खाद्य प्रसंसकरण व भंडारण की समुचित व्यवस्था हो तो
किसानों की दोगुनी आय तथा 5 ट्रिलियन डालर की अर्थव्यवस्था के लक्ष्य को हासिल किया जा सकता है।


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