धर्म को धारण करके ही मानव कल्याण के साथ आत्मकल्याण संभव : मुनि सौम्य सागर

 धर्म को धारण करके ही मानव कल्याण के साथ आत्मकल्याण संभव : मुनि सौम्य सागर



आष्टा। धर्मानुराम आष्टा की विशेषता है। इस नगर में आस्था पर्याप्त हैं। साधु संगति के प्रति यहॉ के नागरिको की उत्सुकता और जिज्ञाशा अद्वितीय है। धर्म का धारण करके ही आप मानव कल्याण के साथ आत्म कल्याण कर सकते हैं। लोकप्रिय वही होता हैं। जो लौकिक जीवन में सदाशयता, उदारता, अनुशासन के गुण धारण करता हैं। आस्थावान नागरिका को लगातार संत महात्माओ का सानिध्य मिलता हैं तो यह यहां के नागरिको की निर्दोष आस्था की वजह से ही हैं। उक्त संदेश आचार्य श्री विद्यासागर महाराज के परम प्रभावक शिष्य मुनि सौम्यसागर जी महाराज ने आष्टा से विहार करते हुए धर्म चर्चा में पूर्व नपाध्यक्ष कैलाश परमार एवं उनके साथियो को दिया। मुनि श्री अपने गुरू के आदेशानुसार विदिशा की ओर विहार कर रहे हैं। 

उनके साथ अन्य साधु भी संघ के रूप में पद विहार कर रहे हैं। आष्टा में विराम के बाद साधु संघ ने ग्राम मैना की ओर प्रस्थान किया। पूर्व नपाध्यक्ष कैलाश परमार ने संपूर्ण संघ का आष्टा को धर्मलाभ देने पर अनुमोदना की। विहार में श्री दिगंबर जैन समाज अध्यक्ष यतेन्द्र जैन भुरू, मुकेश बडजात्या, महामंत्री कैलाश जैन, पवन जैन, रमेश जैन आदिनाथ, सुनिल जैन प्रगति, राजू श्रीमोढ़, धर्मेन्द्र श्रीमोढ़, अक्षय जैन आदिनाथ, प्रशाल प्रगति, अवी जैन, सचिन जैन, धीरज जैन, शुभम शर्मा, राज परमार, राहुल अजमेरा, विनोद जैन, अंकित श्रीमोढ़ सहित अन्य लोग मौजूद थे।


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