सोनकच्छ में स्वास्थ्य केन्द्र की हालत बद से बद्तर, मोबाइल की टार्च में की गई महिला की प्रसूति ... शर्म करो प्रशासन !




 भारत सागर न्यूज़ , सोनकच्छ।  एक ओर जिला मुख्यालय पर जिला चिकित्सालय का कायाकल्प प्रशासन के द्वारा किया जा रहा है, वहीं दूसरी ओर जिले में स्वास्थ्य केन्द्रों की हालत बद से बद्तर होती जा रही है। मामला देवास जिले की सोनकच्छ तहसील का है। सोनकच्छ में सामुदायिक स्वास्थ्य केन्द्र की हालत बहुत खराब है। यहां पर आसपास के क्षेत्र से प्रसूति के लिए आने वाली महिलाओं को काफी परेशानी होती है। प्रशासन को शर्मनाक अनुभव हो कुछ ऐसा एक मामला सामने आया है जहां विद्युत प्रदाय बंद होने के बाद मोबाइल की टार्च की रोशनी में महिला की प्रसूति करना पड़ रही है। जबकि स्वास्थ्य केन्द्र पर जनरेटर भी है लेकिन अस्पताल की तरह वह भी खराब पड़ा है। इस मामले को लेकर प्रसूता के पति ने इस बात की शिकायत एसडीएम को की है। 

         परिजनो ने बताया कि स्वास्थ्य केन्द्र पर विद्युत प्रदाय बंद होने के बाद अंधेरा हो गया और जनरेटर भी बंद पड़ा था। शिकायतकर्ता जोगेन्द्र निवासी ग्राम कुमारिया बनवीर ने बताया कि 18 जुलाई की रात्रि 10 बजे मैं अपने परिजनों के साथ अपने भाई की पत्नि को सामुदायिक स्वास्थ केन्द्र सोनकच्छ में प्रसुति हेतु लेकर आया था तथा मौजूद नर्स द्वारा जांच उपरांत कुछ समय पश्चात प्रसुति होने का कहा गया। रात्रि करीब 1.30 बजे के लगभग नर्स मेरी पत्नि को प्रसूति केन्द्र में लेकर गई। प्रसूति टेबल पर हुई थी और उसी दौरान अस्पताल की लाईट चली गई तथा अंदर से सिस्टरों ने लाईट के लिये परिजनों से मोबाईल मांगे, ड्युटी पर उपस्थित कर्मचारी से इमरजेंसी लाईट चालू करने का कहा तो उन्होने कहा कि इमरजेंसी लाईट तो नहीं है, जनरेटर बंद पड़ा है एवं प्रसुती केन्द्र में इन्वर्टर भी नहीं है। तब घर में जितने भी सदस्यों के पास मोबाईल थे, सिस्टरां को प्रसुति करवाने के लिये दिये। आखिर मोबाइल की टॉर्च की सहायता से नर्सों द्वारा प्रसुति करवाई गई।



परिजनों के अनुसार इस बारे में उसी समय ही उनके द्वारा बीएमओ आदर्श ननेरिया के मोबाईल पर संपर्क किया तो उनका मोबाईल बंद आया। तब उनके निवास पर गये तो ताला दिखा तथा अस्पताल से ही जानकारी मिली कि डॉक्टर साहब इंदौर से ही आना जाना करते हैं। परिजनों ने इस घटना की शिकायत सीएम हेल्पलाइन एवं अनुविभागीय अधिकारी को भी आवेदन देकर की गई है। उक्त घटना के बारे सोनकच्छ बीएमओ डॉक्टर आदर्श ननेरिया से जानकारी लेना चाही तो उन्होने कॉल रिसीव ही नहीं किया। यहां बड़ा प्रश्न तो यह है कि हमारे जनप्रतिनिधि दिन रात विकास विकास का भोंपू आमजन को विभिन्न माध्यमों से सुनाते रहते हैं और धरातल पर विकास और व्यवस्था का ऑपरेशन मोबाइल की टॉर्च में हो रहा है। वहीं कलेक्टर के आदेश के बावजूद बीएमओ का इन्दौर से अपडाउन भी प्रश्न उठाता है कि जिम्मेदार कितने लापरवाह हैं। जबकि कलेक्टर के पूर्व में ही आदेश थे कि सभी अधिकारियों को अपने कार्यालय क्षेत्र में ही निवास करना है। बहरहाल लगता है कलेक्टर से ज्यादा पावरफुल बीएमओ साहब हैं जो उन्हें कलेक्टर साहब के आदेश की भी चिंता नहीं है। ऐसे ही लापरवाही में यदि प्रसुति के दौरान महिला को कोई गंभीरता हो जाती तो उसका जिम्मेदार कौन होता ?

इनका कहना: 

आवेदक की और से आवेदन प्राप्त हुआ है, आवेदन की जांच कर उचित कार्यवाही की जाएगी।

            एसडीएम, शिवानी तरेटिया


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