अमलतास हॉस्पिटल में ऑपरेशन के बाद दो बच्चों को मिली बहरेपन से मुक्ति......



देवास। अमलतास हॉस्पिटल प्रबंधक विजय जाट द्वारा बताया गया की जन्म से बहरेपन के शिकार बच्चो में दोबारा सुनने की क्षमता तैयार करने के लिए अमलतास हॉस्पिटल में कॉक्लियर इंप्लांट सर्जरी की शुरुआत हो गई है, 24 अक्टूबर को साहिबा 2 वर्ष व नागेश्वर 5 वर्ष की अमलतास में सफल सर्जरी की गई। अमलतास हॉस्पिटल में जिन दो बच्चों की कॉक्लियर इंप्लांट सर्जरी की गई उनके इम्प्लांट को शुरू किया गया। आज इन बच्चों को पहली बार आवाज का एहसास हुआ। इस प्रक्रिया को स्विच ऑन या सेंसटाइजेशन कहते हैं, जिससे बच्चे को आवाज का एहसास होता है इसके बाद बच्चे की स्पीच थेरेपी होती है जिससे बच्चा इस आवाज को शब्दों में समझने लगता है इसलिए स्पीच थेरेपी भी इस प्रोग्राम का अभिन्न अंग है। 

जन्म से ही सुनने में सक्षम न होना एक गंभीर समस्या है जिसका असर आजीवन रह सकता है, यदि बच्चों के परिजन इसको लेकर शुरुआती समय में सावधान रहे तो बच्चों को इस समस्या से बचाया जा सकता है मासूमों में सुनने की समस्या का सफल उपचार कॉक्लियर इंप्लांट सर्जरी से संभव है। कॉक्लियर इंप्लांट सर्जरी के विशेषज्ञ डॉ.सत्य प्रकाश दुबे, डॉ अभय गुप्ता के अनुसार जन्म के बाद जब बच्चा सुनना शुरू करता है तो ही उसमें बोलने की क्षमता का विकास होता है आमतौर पर छह माह की आयु तक परिजनों को पता चल जाता है कि बच्चे को सुनने में कोई समस्या है या नहीं तो कॉक्लियर इंप्लांट सर्जरी सफल उपचार है जिससे सुनने की क्षमता विकसित हो जाती है। अमलतास हॉस्पिटल के चेयरमैन मयंक राज सिंह भदौरिया के मार्गदर्शन में डीन डॉ. शरद चंद्र वानखेड़े, मेडिकल सुपरिटेंडेंट डॉ. प्रशांत वडग बालकर, मुख्य चिकित्सा अधिकारी डॉ.जगत रावत उपस्थित रहे।


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