ना 144 का डर न कोरोना का .... ओमिक्रॉन की दहशत के बीच ये कैसा युवा नेतृत्व ... अपने ही कार्यकर्ताओं की जान लगा दी दांव पर .... BJYU RALLY DEWAS

  •  भाजपा से डरा ओमिक्रोन, रैली में जुटाई भीड़, न मास्क, ना डिस्टेंसिंग
  •  भाजपा युवा मोर्चा अध्यक्ष की आभार रैली से रोड जाम, परेशान हुई जनता 


राहुल परमार, भारत सागर न्यूज, देवास । शहर में पिछले कई दिनों से इवेंट में भीड़ का हिस्सा आम आदमी बन रहा है। पहले तो प्रशासन ने हजारों बच्चों की जिंदगियां दांव लगा दी और अब भारतीय जनता युवा मोर्चा के कार्यकर्ताओं की ! बताते चलें विश्वभर में कोरोना की संभावित तीसरी लहर को लेकर दहशत बनी हुई है। लेकिन देवास शहर के जिम्मेदार कोरोना को लगातार चुनौती देते हुए दिखाई दे रहे हैं। इसमें यदि कोई बड़ा हॉटस्पॉट बना तो जिम्मेदार कौन होगा। हालांकि इन सब भयावहता के बीच जिला प्रशासन द्वारा धारा 144 लागू कर दी है साथ ही प्रदेश में नाईट कर्फ्यु का ऐलान पहले ही प्रदेश के मुखिया शिवराजसिंह द्वारा किया जा चुका है। ताकि कोरोना की संभावित तीसरी लहर से बचा जा सके । लेकिन इस दहशत के बीच भी सैकड़ों कार्यकर्ताओं की भीड़ जुटाकर शक्ति प्रदर्शन कर दिया गया। यदि ऐसे में इस भयानक वायरस से कोई हानि होती है तो इसका जिम्मेदार कौन होगा ? 



ऐसा लगता है मानो भारतीय जनता पार्टी से कोरोनावायरस का नया रूप ओमिक्रोन डर गया है। प्रदेश की कैबिनेट वायरस के डर से चुनाव रद्द करती है, तो दूसरी तरफ भाजपा के ही युवा मोर्चा अध्यक्ष की भारी भीड़ वाली रैलियां भी निकलती है। रविवार को देवास जिले के नवनियुक्त युवा मोर्चा अध्यक्ष राम सोनी की रैली करनावद से चापड़ा, हाटपिपलिया, बरोठा होते हुए देवास पहुंची। पूरे रास्ते बड़ी भीड़ रैली के साथ चलती रही। देवास शहर में अंदर आते ही रैली के कारण पूरा एमजी रोड जाम हो गया। 



  प्रदेश सरकार द्वारा ओमीक्रोन से प्रदेशवासियों को बचाने के लिये हर सम्भव प्रयास किये जा रहे है।वही ऐसी रैली सरकार के ही दावों की पोल खोल रही है कि सरकार कितनी सतर्क है? पार्टी से जुड़े कुछ वरिष्ठ नेताओं का कहना है कि इस रैली का कोई महत्व नही था यदि आभार ही प्रदर्शन करना था तो सादगी से भी किया जा सकता था क्योंकि राम सोनी अब एक ऐसी पार्टी की शाखा के जिलाध्यक्ष बने है जो केवल आमजनता के हित को महत्व देती है।





1 घंटे से ज्यादा समय तक बाजार में खरीदी करने पहुंचे लोग और दुकानदार हैरान परेशान रहे। रैली एबी रोड पहुंची तो पुलिस ने यहां भी रास्ता बंद कर दिया। ट्रैफिक के बीच आतिशबाजी होती रही। मंचों पर स्वागत होता रहा। भाजपा कार्यालय पर रैली पहुंचने के बाद एक सभा का आयोजन भी हुआ। इसमें कई जनप्रतिनिधि मौजूद थे। हालात ये थे कि किसी भाजपाई ने न तो मास्क लगाया था नाही सोशल डिस्टेंसिंग का कोई ख्याल किसी नेता को रहा,  जबकि मंच पर कई जवाबदार जनप्रतिनिधि बैठे थे। इनमें से किसी ने भी अपने कार्यकर्ताओं को ना तो मास्क लगाने के लिए कहा, नाही दूरी बनाने के लिए कहा। इसके अलावा बड़े नेता और जनप्रतिनिधि भी मानो कोरोनावायरस का खतरा महसूस नहीं कर रहे थे। इसके पहले भाजपा कार्यालय के सामने सभा के लिए पूरा रास्ता बंद कर मंच बनाया गया। कुल मिलाकर एक तरफ तो प्रदेश की सरकार कोरोनावायरस के डर से चुनाव निरस्त करने की बात करती है। दूसरी तरफ सत्ताधारी पार्टी रैली कर कोरोना फैलने के लिए आमंत्रण देती है। साफ है की सख्ती सिर्फ जनता के लिए है, नेताओं के लिए कोई सख्ती नहीं है।

नहीं दिया मीडिया को कोई आमंत्रण .... ?

वैसे तो भाजपा कार्यालय से आये दिन छोटे से छोटे आयोजन/कार्यक्रम के प्रेस नोट जारी होते रहते हैं। लेकिन जिला स्तर पर अपना शक्ति प्रदर्शन करने आये भाजयुमो के नवनियुक्त अध्यक्ष अपने कार्यक्रम में इतना व्यस्त हो गये कि उन्हें यह सुध तक नहीं रही कि मीडिया को आमंत्रण देना है या नहीं। उक्त कार्यक्रम में मीडियाकर्मियों की अनुपस्थिति और निजी कैमरामेन की उपस्थिति यह स्पष्ट करती है कि उन्हें मीडिया से कोई मतलब नहीं। कार्यक्रम से आखिर मीडिया ने इतनी दूरियां क्यां बना ली और मीडियाकर्मियों को इस कार्यक्रम में आमंत्रण क्यों नही दिया गया ? यह समझ से परे हैं और यदि आमंत्रण दिया भी गया तो कार्यक्रम में कही भी मीडियाकर्मियों के बैठक की व्यवस्था क्यों नहीं थी और मीडियाकर्मी वहां क्यों मौजूद नहीं थे ? 

खैर समझा तो यह भी जा सकता है कि उन्हें आमंत्रण देने के लिए भाजपा में कोई प्रवक्ता तक मौजूद नहीं है। फिलहाल प्रेस नोट जारी करने के लिए भी भाजपा के पास कोई उपयुक्त कार्यकर्ता नही है और जो प्रेस नोट फिलहाल जारी किये जा रहे हैं, उनमें अधिकांश व्याकरण की गलतियां हो रही है। पिछले दिनों भाजपा के एक प्रेस नोट में वर्ग के एक नवनियुक्त अध्यक्ष के द्वारा हत्या किये जाने का उल्लेख तक कर दिया था। पूर्व में भाजयुमो अध्यक्ष को मीसाबंदी की जानकारी नही थी और वर्तमान नियुक्त किये गए नेतृत्व को आमंत्रण की। यहां एक प्रश्न और भी सामने आता है कि इन नियुक्तियों के पीछे क्या केवल शक्तिप्रदर्शन ही आधार होता है या फिर हमेशा अंतिम पंक्ति के व्यक्ति को मौका देने का कहने वाली पार्टी के पास अन्य भी आधार होते हैं ? 

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