श्री सम्मेद शिखर जी तीर्थ को पर्यटक स्थल घोषित करने पर जैन समाज में विरोध, सौंपा ज्ञापन.....

जैन समाज ने प्रतिष्ठान बंद कर निकाली रैली, बड़ी संख्या में महिलाएं हुई शामिल 



देवास। जैन जगत के झारखंड स्थित सर्वोच्च तीर्थ व पवित्र पर्वत सम्मेद शिखरजी को झारखंड सरकार द्वारा पर्यटन केंद्र बनाए जाने की अधिसूचना जारी करने के बाद जैन समाज इसका विरोध कर रहा है। बुधवार को जैन समाज द्वारा शहर में दोपहर तक अपने प्रतिष्ठान बंद रखे साथ ही जैन संत सदन नयापुरा से एक रैली निकाली जो शहर के प्रमुख मार्गों से होती हुई कलेक्टर कार्यालय पहुंची जहां जैन समाज ने राष्ट्रपति, प्रधानमंत्री व झारखंड मुख्यमंत्री के नाम तहसीलदार को ज्ञापन सौंपा।



उल्लेखनीय है कि श्री सम्मेद शिखर जी तीर्थ को झारखंड सरकार ने पर्यटन स्थल घोषित किया है। अब इसका विरोध लगातार बढ़ते जा रहा है। गत शुक्रवार को जिले के सोनकच्छ में आचार्य श्री प्रज्ञा सागर जी महाराज ने जैन मंदिर के सामने समाजजनों को संबोधित कर मौन रैली को रवाना किया। मौन रैली में सभी समाजजन तहसील कार्यालय पहुंचे जहां उन्होनें तहसीलदार राधा महंत को ज्ञापन सौंपा। 

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इसके बाद बुधवार को देवास में जैन समाज ने अपने प्रतिष्ठान बंद कर जैन संत सदन नयापुरा से एक रैली निकाली जिसमें बड़ी संख्या में महिलाओं के साथ पुरूष भी शामिल हुए। रैली शहर के प्रमुख मार्गों से होती हुई कलेक्टर कार्यालय पहुंची जहां जैन समाज ने राष्ट्रपति, प्रधानमंत्री, केन्द्रीय पर्यावरण व वन एंव जलवायु परिवर्तत मंत्री के साथ झारखंड मुख्यमंत्री के नाम तहसीलदार पूनम तोमर को ज्ञापन सौंपा।


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यह दिया ज्ञापन 

ज्ञापन में उल्लेख करते हुए बताया गया कि जैन जगत के झारखंड स्थित सर्वोच्च तीर्थ एवं पवित्र पर्वत सम्मेद शिखरजी को झारखंड सरकार द्वारा पर्यटन केन्द्र बनाए जाने की अधिसूचना जारी की गई है। इसके अंतर्गत इस पारसनाथ पर्वत को वन अभ्यारण्य एवं पिकनिक स्थल बनाए जाने का प्रस्ताव है। यदि इस अधिसूचना का पालन होता है तो जैन जगत का यह आस्थावान तीर्थ गैर धार्मिक गतिविधियों का केन्द्र बन जाएगा। इस निर्णय से भारत भर के जैन समाज की धार्मिक भावनाएं आहत हुई है। किसी भी धार्मिक स्थल को गैर धार्मिक गतिविधियों से जोडऩा सर्वथा गलत है तथा न्यायोचित भी नहीं है। भारत सरकार एवं झारखंड सरकार की इस अधिसूचना को वापस लेने के आग्रह के साथ भारतभर के जैन समाज द्वारा इसका विरोध करते हुए प्रतिष्ठान बंद कर विरोध प्रदर्शन किया गया। यदि इस प्रकार के विरोध से भी अधिसूचना वापस नहीं ली गर्ई तो जैन समाज द्वारा उग्र आंदोलन किया जाएगा। 




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