पाताल से निकलेगा सफ़ेद सोना | सीतावन के जंगलों में छुपा था राज ? | संगमरमर का पत्थर | Indian marble White gold will emerge from Hades. The secret was hidden in the forests of Sitavan? , marble stone | Indian marble



राहुल परमार, भारत सागर न्यूज़, देवास (94250 70079) |  प्रकृति की अमूल्य धरोहर पृथ्वी पर कब कहां कौन सी घटना हो जाये कोई नही जानता। इसकी संरचनाओं में कौन सा खनिज कहां मिल जाये इसकी संभावनाएं भी कम ही होती है। लेकिन जिन क्षेत्रों में इन खनिजों की उपलब्धता हो जाये, उन क्षेत्रों में विकास की गति भी तेज हो जाती है। कहानी देवास जिले में उदयनगर से शुरु करते हैं। ऐसे स्थान जहां खेत खलिहान हो और पथरीली जमीन हो, वहां कैसे किसी खनिज का आंकलन किया जा सकता है, लेकिन उदयनगर में सीतावन क्षेत्र में जब लोगों को कुछ वर्ष पहले पत्थर चमकने की आशंका हुई तब जाकर पता चला कि इन पथरीली जमीनों के नीचे संगमरमर का खजाना दबा हुआ है। इसके बाद कई प्रक्रियाओं से गुजरने के बाद यहां उत्खनन का कार्य शुरु हो चुका है। 





    दरअसल  मध्यप्रदेश के देवास जिले में उदयनगर क्षेत्र स्थित सीतावन के जंगल में संगमरमर की खदानें शुरू हो गई हैं। करीब पांच साल से इस क्षेत्र में संगमरमर होने की बातें सामने आ रही थी। अब यहां माइनिंग शुरू हो चुकी है। माइंस में फिलहाल कम मात्रा में मार्बल का खनन हो रहा है। इसी क्षेत्र में 3 खदानों में मार्बल खनन शुरू हो चुका है, दो में होने वाला है और इसके बाद 3 अन्य खदानों की शुरूआत भी होने की संभावना है। माना जा रहा है कि यहां डोलोमेटिक मार्बल इटालियन मार्बल की तरह है। इसकी गुणवत्ता भी अच्छी बताई जा रही है, साथ ही सैकड़ों फीट गहराई तक होने की संभावना है। सबकुछ ठीक रहा तो इस क्षेत्र को रोजगार के सैकड़ों नए अवसर आने वाले कुछ समय में मिलेंगे। साथ ही कटिंग, फिनिशिंग उद्योग आने के बाद हजारों लोगों को इससे प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष रोजगार मिलेगा। 



देवास जिले के दूरस्थ आदिवासी अंचल के क्षेत्र में प्रचूर मात्रा में मार्बल मिलने से क्षेत्र के लोग भी उत्साहित हैं। सीतावन उत्थान सेवा समिति के माध्यम से इस क्षेत्र में कई नवाचार करने वाले गोविंद चव्हाण व इनके साथियों ने करीब 5 साल पहले इन पत्थरों को विशेष माना था। दरअसल खेत व सड़क का काम होते समय जब जमीन पर पड़े पत्थरों को चव्हाण ने रात में चमकते हुए देखा, तो उन्होंने जिज्ञासावश जांच शुरू की। पत्थरों के टूकड़े इंदौर स्थित एक प्रयोगशाला में भेजकर जांच करवाई गई। जांच में पाया गया कि इन पत्थरों में डोलामाइट की मात्रा 45 प्रतिशत से अधिक है। इसके बाद यह मानकर कि यहां मार्बल है, राजस्थान के खदान संचालकों से संपर्क किया। आखिरकार चव्हाण की निजी भूमि पर ही खदान संचालकों ने जांच की और प्रचूर मात्रा में मार्बल होने की बात सिद्ध हो गई। इसके बाद खनिज सहित अन्य विभागों से जरूरी अनुमतियों के बाद पिछले साल से व्यवस्थित खनन प्रारंभ हुआ और अब यहां विभिन्न खदानों में प्रतिमाह करीब 100 टन तक मार्बल खनन किया जा रहा है। 



इन खदानों के शुरू होने के बाद क्षेत्र के लोग मार्बल हब बनने की बात करने लगे हैं। दरअसल लगातार खदानों के आने से क्षेत्र के जानकार भी उत्साहित हैं और मानते हैं कि खदानों से पूरी क्षमता के साथ खनन प्रारंभ होने के बाद पूरे क्षेत्र के युवाओं को रोजगार मिलेगा। प्रत्यक्ष रूप से हर खदान से करीब 50 से 100 तक लोगों को रोजगार मिलता है। वहीं अप्रत्यक्ष रूप से यह संख्या हजारों में हो जाती है। 



फिलहाल यहां खनन के बाद निकलने वाले मार्बल के ब्लाक्स को कटिंग व फिनिशिंग के लिए राजस्थान के निंबाहेड़ा और उदयपुर के आसपास भेजा जाता है। करीब 25 टन मार्बल के ब्लाक को ट्राले की मदद से भेजा जाता है। यदि अधिक खदानें शुरू हुईं और मार्बल की मात्रा बढ़ी तो वह उद्योग भी यहीं आ सकता है। ऐसे में क्षेत्र को छोटा उदयपुर बनाने की दिशा में काम किया जा सकता है। 

बहुत कम स्थानों पर मिलता है मार्बल

देश में राजस्थान के अलावा मध्यप्रदेश और दक्षिण भारत के कुछ स्थानों पर ही मार्बल पाया जाता है। मध्यप्रदेश के कटनी, जबलपुर और आलीराजपुर क्षेत्र में मार्बल मिलता है। देवास जिले में मार्बल मिलने से यहां उद्योग की नई संभावनाओं को आधार मिला है। हालांकि मार्बल जहां मिला है, वहां अधिकाशं वन क्षेत्र है और काफी कम भूमि खनन के उपयोग की बताई जाती है। सीतावन उत्थान सेवा समिति के गोविंद चव्हाण के अनुसार यहां सैकड़ों फीट गहराई तक मार्बल है। 

इस संबंध में जिला खनिज अधिकारी डा. एमएस खतेड़िया ने बताया कि उदयनगर क्षेत्र में सतह पर मार्बल वेदर्ड है, जिसमें दरारे आ रही हैं। नीचे अच्छी क्वालिटी का मार्बल निकलने की जानकारी भी आ रही है। दरअसल चूना पत्थर के मेटामार्फिजम से मार्बल का निर्माण होता है। यहां डोलोमेटिक मार्बल बड़ी मात्रा में मिल रहा है। वर्तमान में 30 वर्ष के लिए खदानों को उत्खनन पट्टा दिया गया है। उन्होंने बताया कि सभी खदानों के पूरी क्षमता से शुरू होने पर जिले में नए रोजगारों का सृजन हो सकता है। इसके साथ ही एक नया उद्योग भी रूप लेगा।

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