अहंकार छूटे बिना घट का उजियारा नहीं हो सकता - सद्गुरु मंगल नाम साहेब
- जब तक संसार में भटकते रहोगे, परमात्मा की अनुभूति नहीं होगी - सद्गुरु मंगल नाम साहेब
भारत सागर न्यूज/देवास। अहंकार और अभिमान तुम्हारा छूट जाए, तो ही घट के चौके की तरफ आ सकते हो। फिर तुम अपनी प्यास बुझा सकते हो। अभी तुम संसार की प्यास बुझाने में लगे हो, संसार में भटके हुए हो। जैसे दीपक लगा दिया, माता-पिता के बीच में एक प्रेम जगा दिया, शरीर का निर्माण हो गया, घट के चौके का निर्माण हो गया।
यह विचार सद्गुरु मंगल नाम साहेब ने सद्गुरु कबीर प्रार्थना स्थल, प्रतापनगर में आयोजित बसंत उत्सव के दौरान व्यक्त किए।
उन्होंने आगे कहा कि गेहूं या ज्वार का आटा एक है, लेकिन पकवान बहुत बन जाते हैं। पकवान तुमने आटे से ही बनाए हैं, उनके नाम अलग-अलग हैं। आटा एक है, लेकिन पकवान बहुत हैं। ऐसे ही जीव एक है, लेकिन शरीर अनेक बना दिए गए हैं—84 लाख।
84 लाख योनियों में आदमी भटक रहा है। शरीर के जंगल में जीव भटक रहा है। सारे शरीर, जितने भी हैं, श्वास के खंभे से ही चिपके हुए हैं। श्वास के ऊपर ही इनका रमण हो रहा है। शरीर में शरीर का और जीव में जीव का रमण हो रहा है। जीव देह-रहित है, जीव विदेही पुरुष है। शरीर पर रजोगुण, तमोगुण और सतोगुण का प्रभाव पड़ता है। लेकिन जो रजोगुण, तमोगुण और सतोगुण से परे हैं, जो सबका मूल संचालक है, उसकी देह कहां है जिस पर उम्र या मौसम का प्रभाव पड़े?
मौसम और उम्र का प्रभाव तो रज-बिरज की छाया रूप शरीर पर पड़ता है। बचपन की छाया, जवानी की छाया और बुढ़ापे की छाया शरीर पर पड़ती है, लेकिन जीव तो त्रिगुण से सिद्ध है, जो इससे परे है। केवल वही भाष होता है। जो संसार की दौड़ से अलग हो जाते हैं, उन्हें ही परमात्मा की अनुभूति होती है। जब तक तुम संसार में भटकते रहोगे, संसार के संसाधनों, मन, माया और मोह में लगे रहोगे, तब तक तुम्हें परमात्मा की प्राप्ति, उस सत्य सहज की प्राप्ति नहीं हो सकती। सत्य सहज सभी बंधनों से मुक्त है।
इस दौरान सद्गुरु मंगल नाम साहेब ने सभी साध संगत को रंग डालकर बसंतोत्सव मनाया। यह जानकारी सेवक वीरेंद्र चौहान ने दी।
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