"पूर्णिमा की रात श्मशान में अघोरी गुरु जगदीश प्रजापत द्वारा की गई रहस्यमयी पूजा – जानिए इसका गूढ़ महत्व!"



भारत सागर न्यूज/उज्जैन( संजय शर्मा )। उज्जैन के महाकाल पूरी दुनिया में प्रख्यात है जिनका एक रूप अघोरी के रूप में माना जाता है,  वही उज्जैन जिले के खाचरोद में भगवान भोले नाथ को अघोरी के रूप में पूजा जाता है ।शमशान में पूजा की जाती है। 




भगवान बटुक भैरव की भी विशेष पूजा की जाती है जिसको देखने हमारी टीम आधी रात को खाचरोद के श्मश्शान घाट पहुंची चिता जल रही थी । श्मशान में जगदीश गुरु अपनी पूजा में लिन थे भगवान भैरव नाथ को दूध और मदिरा से स्नान करवाया गया श्रृंगार किया गया था, जिसके बाद शुरू हुई विशेष मंत्रों द्वारा पूजा भगवान भैरव नाथ को भोग के लिए आह्वान किया गया जिसके बाद शुरू हुआ । 




विशेष हवन जो सुनसान श्मशान में अंगारों की ऊंची उठती आग की लपटों के साथ शुरू हुआ, जो कई देर तक चलता रहा हमारी टीम ने इस पुरी पूजा को अपने कैमरे में कैद किया जब पूजा से फ्री हुए गुरु जगदीश प्रजापत से हमारे संवाददाता संजय शर्मा ने बात की तो उन्होंने बताया कि वे अघोरी श्मशान पूजा पिछले कई सालो से कर रहे है और लोगो में ये वहम पैदा किया जाता रहा है, 




शमशान पूजा से किसी का बुरा किया जाता है परंतु ऐसा नहीं है शमशान पूजा लोगो के कार्यों हितों के लिए भी की जाती है । शमशान में उनके द्वारा भंडारे का आयोजन भी किया जाता है और भक्त भंडारे का प्रसाद भी ग्रहण करते है उन्होंने आम पूजा और अघोरी पूजा का महत्व भी हमे बताया ।


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