स्थानीय गौ सेवकों ने घायल बंदर को पशु चिकित्सालय पहुँचाया, प्रशासनिक लापरवाही के कारण नहीं बच सकी जान।
भारत सागर न्यूज/गुना। गुना के टेकरी मंदिर परिसर में शनिवार को बारिश हो रही थी। इसी दौरान एक बिजली के खंभे में करंट आ गया, जिससे एक बंदर को करंट लग गया और वह नीचे गिर पड़ा। बंदर बुरी तरह घायल हो गया और मौके पर ही तड़पने लगा।
घटना की सूचना गुना के गौसेवक मोनू ओझा जी को मिली, जो तुरंत मौके पर पहुंचे और बंदर की स्थिति देखी। उन्होंने तुरंत वन विभाग और पशु चिकित्सालय गुना को फोन कर सूचना देने का प्रयास किया, लेकिन वन विभाग के कर्मचारियों ने एक-दूसरे के मोबाइल नंबर देते हुए जिम्मेदारी से बचते रहे। लंबे इंतजार के बावजूद वन विभाग के कोई वरिष्ठ अधिकारी मौके पर नहीं पहुंचे।
रात 10:00 बजे तक कोई सहायता न मिलने पर, मजबूरी में गौसेवक मोनू ओझा घायल बंदर को खुद पशु चिकित्सालय गुना लेकर पहुँचे। इसके बाद गुना कलेक्टर महोदय को भी फोन के माध्यम से सूचना दी गई। तब जाकर वन विभाग और डॉक्टर की टीम मौके पर पहुँची, लेकिन तब तक बंदर की मौत हो चुकी थी। स्थानीय लोगों और गौसेवकों का मानना है कि अगर वन विभाग और विद्युत मंडल समय पर सक्रियता दिखाते, तो इस बेजुबान जानवर की जान बचाई जा सकती थी। इस घटना में सबसे बड़ी लापरवाही विद्युत मंडल गुना और वन विभाग के अधिकारियों की रही।
घटना के समय गौसेवक राम सिंह रजक, मोनू ओझा, लललू प्रजापति, उमरी गोविंद जाटव, अजय पंत (बांसखेड़ी), विशाल अनोटिया, बागा भाई और अन्य कई गौसेवक मौजूद थे। सभी ने मिलकर बंदर की मदद का प्रयास किया, लेकिन सरकारी विभागों की उदासीनता के चलते उसका जीवन नहीं बच पाया। स्थानीय सामाजिक कार्यकर्ताओं ने मांग की है कि इस प्रकार की घटनाओं की पुनरावृत्ति रोकने के लिए वन विभाग और विद्युत विभाग की जवाबदेही तय की जाए और समय पर कार्रवाई के लिए स्पष्ट प्रक्रिया लागू की जाए।
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