साल में सिर्फ 24 घंटे खुलते हैं बाबा नागचंद्रेश्वर के पट, जानिए क्यों इतने खास हैं ये दर्शन?

 



भारत सागर न्यूज/उज्जैन।बाबा महाकाल की नगरी उज्जैन में नागपंचमी का पर्व इस बार भी पूरे भक्ति भाव और उत्साह के साथ मनाया जा रहा है। विश्व प्रसिद्ध महाकालेश्वर मंदिर के शीर्ष पर स्थित भगवान नागचंद्रेश्वर मंदिर के पट रात 12 बजे श्रद्धालुओं के दर्शन के लिए खोले गए। पूजन-अर्चना के बाद से ही भक्तों की लंबी कतारें लग गईं, जो अब तक लगातार बनी हुई हैं। यह दर्शन केवल 24 घंटे के लिए ही होते हैं।





नागपंचमी के अवसर पर खुलने वाले इस मंदिर के पट साल में सिर्फ एक दिन के लिए खोले जाते हैं। इसका कारण यह है कि नागचंद्रेश्वर मंदिर महाकाल मंदिर की ऊपरी मंजिल पर स्थित है और इसकी संरचना अत्यंत प्राचीन एवं संवेदनशील है। लगातार दर्शन की अनुमति से इसके प्राचीन स्वरूप को नुकसान पहुंच सकता है। साथ ही, स्थान की सीमितता के कारण बड़ी संख्या में श्रद्धालुओं को प्रतिदिन यहां पहुंचने की अनुमति नहीं दी जा सकती। इसीलिए वर्ष में केवल एक बार, नागपंचमी के दिन, यह द्वार आम श्रद्धालुओं के लिए खोला जाता है।





इस मंदिर में नाग पर विराजमान शिव-पार्वती की दुर्लभ प्रतिमा विराजित है, जिसे देखने की इच्छा हजारों श्रद्धालुओं के मन में रहती है। ऐसी मान्यता है कि नागचंद्रेश्वर भगवान के दर्शन और पूजन से शिव-पार्वती दोनों प्रसन्न होते हैं और सर्प दोष से मुक्ति मिलती है।





रात्रि 12 बजे पट खुलने के साथ ही पंचायती महानिर्वाणी अखाड़े के महंत विनीत गिरी महाराज ने विधिवत पूजा-अर्चना की। इस दौरान प्रदेश के प्रभारी मंत्री गौतम टेटवाल और लोक स्वास्थ्य मंत्री संपतिया उइके भी मंदिर में मौजूद रहे। पूजा के उपरांत मंदिर को आम श्रद्धालुओं के लिए खोल दिया गया।




रात से ही श्रद्धालु मंदिर के बाहर दर्शन के लिए कतार में लगे हुए हैं। भीड़ और व्यवस्था को देखते हुए प्रशासन ने कड़े इंतजाम किए हैं। दर्शन व्यवस्था को सुव्यवस्थित करने के लिए बेरिकेट्स लगाए गए हैं, 


सीसीटीवी कैमरों से निगरानी की जा रही है और ड्रोन के माध्यम से भी पूरे परिसर पर नजर रखी जा रही है। श्रद्धालुओं को किसी प्रकार की असुविधा न हो, इसके लिए सुरक्षाकर्मी और स्वयंसेवक तैनात किए गए हैं।




प्रशासन का अनुमान है कि इस वर्ष नागपंचमी पर करीब 10 लाख से अधिक श्रद्धालु भगवान नागचंद्रेश्वर के दर्शन करेंगे। पूरा उज्जैन शहर शिवमय वातावरण में डूबा हुआ है और हर दिशा में 'हर हर महादेव' और 'जय महाकाल' के जयघोष गूंज रहे हैं।

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