“लाड़ली बहना योजना में बड़ा बदलाव: अब हर महीने ₹1500, अब तक ₹44 हजार करोड़ का भुगतान”
भारत सागर न्यूज/देवास। मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव के मार्गदर्शन और नेतृत्व में प्रदेश में नारी आंदोलन का अभियान जारी है। प्रदेश की लाडली नेता से मुख्यमंत्री डॉ. यादव का वादा 12 मार्च 2025 को पूरा होने जा रहा है। एक करोड़ 26 लाख से अधिक लाडली देवताओं को सिवनी में आयोजित राज्य स्तरीय कार्यक्रम में बड़ी हुई राशियां उनके खाते में अंकित की गईं। मुख्यमंत्री डॉ. यादव हर लाडली बहना के खाते में 1500 पिज्जा की शुरूआत करेंगे। मुख्यमंत्री डॉ. यादव की इस सबसे पहले उसी प्रदेश की लाड़ली जनजातियों ने अपने भैया मोहन के प्रति मांगी अपील में कहा गया है कि वे ठीक प्रकार हमारा ध्यान रख रहे हैं, जैसे भगवान श्रीकृष्ण ने अपनी बहन सुभद्रा का ध्यान रखा था।
प्रदेश की महिलाओं के आर्थिक एवं सामाजिक संगठन की दिशा में चल रही मुख्यमंत्री लाडली बहन योजना ने एक ऐतिहासिक उपलब्धि दर्ज की है। जून 2023 से अक्टूबर 2025 तक योजना के तहत लाभार्थी महिलाओं को कुल 29 किस्तों में नियमित आर्थिक सहायता राशि का अंतर दिया गया है। रक्षा बंधन पर अगस्त 2023, अगस्त 2024 और अगस्त 2025 में अतिथि महिलाओं को 250 कुत्तों की विशेष सहायता राशि तीन बार प्रदान की गई। इस प्रकार की योजना के आरंभ से अब तक 44,917.92 करोड़ का सीधा भुगतान लाभार्थी महिलाओं के खाते में किया जाएगा।
प्रदेश सरकार द्वारा संचालित महत्वाकांक्षी योजना में महिलाओं को आर्थिक रूप से आत्मनिर्भर बनाने में अहम भूमिका निभाई गई है। योजना से महिलाएं न केवल अपनी छोटी-छोटी वित्तीय योजनाओं को पूरा कर रही हैं, बल्कि नेटवर्क सिस्टम से भी सीधे जुड़ रही हैं।मुख्यमंत्री लाडली बहना योजना में प्रदेशभर में महिलाओं को आर्थिक आरक्षण का सीधा लाभ मिल रहा है। योजना की अब तक की प्रगति रिपोर्ट के अनुसार, मध्य प्रदेश के सभी 52 आभूषणों में कुल 1,26,36,250 (एक करोड़ 26 लाख 36 हजार 250) महिलाओं को योजना का लाभ मिला है।
लाडली बहना योजना में सबसे अधिक पर्यटक देश के प्रमुख जिलों में हैं, जहां 4 लाख 40 हजार 723 महिलाओं को योजना का लाभ मिलता है। इसके बाद सागर में 4 लाख 19 हजार 903, रीवा में 4 लाख 3 हजार 182, हिंद महासागर में 3 लाख 90 हजार 311, धार में 3 लाख 82 हजार 417 और जबलपुर में 3 लाख 81 हजार 848 महिलाओं को फायदा हुआ। योजना के तहत बालाघाट जिले में 3 लाख 47 हजार 816, मुरैना में 3 लाख 40 हजार 203, मुरैना में 3 लाख 33 हजार 821 का लाभ मिलता है। छतरपुर में 3 लाख 24 हजार 454, खरगोन में 3 लाख 13 हजार 741, भोपाल में 3 लाख 9 हजार 20 तथा शेष जिले में 3 लाख 5 हजार 969 महिलाओं को योजना का लाभ मिला है। इसी क्रम में राजगढ़ में 2 लाख 95 हजार 459, शिवपुरी में 2 लाख 87 हजार 943, देवास में 2 लाख 85 हजार 496, विदिशा में 2 लाख 74 हजार 946, भिंड में 2 लाख 72 हजार 343, और बैतूल में 2 लाख 71 हजार 474 रुपये दर्ज हुए हैं। सिवनी जिले में 2 लाख 68 हजार 187, मंदसौर में 2 लाख 62 हजार 827, रायसेन में 2 लाख 50 हजार 176, रायसेन में 2 लाख 46 हजार 390, दमोह में 2 लाख 45 हजार 143, सीहोर में 2 लाख 42 हजार 717, और कटनी में 2 लाख 41 हजार 302 लोगों को राशि का लाभ मिलता है। बड़वानी में 2 लाख 37 हजार 60, गुना में 2 लाख 28 हजार 604, खंडवा में 2 लाख 16 हजार 372, नर्मदा में 2 लाख 9 हजार 837, सिद्धार्थी में 2 लाख 9 हजार 706, टीकमगढ़ में 2 लाख 7 हजार 79, जबकि नरसिंहपुर में 2 लाख 8 हजार 734 महिलाओं की योजना की राशि प्राप्त हुई है।
मुख्यमंत्री लाडली योजना में सिंगरौली जिले में 1 लाख 97 हजार 4, मंडला में 1 लाख 95 हजार 153, झाबुआ में 1 लाख 92 हजार 511, शहडोल में 1 लाख 88 हजार 729, पन्ना में 1 लाख 82 हजार 220, शाजापुर में 1 लाख 73 हजार 900, नीमच में 1 लाख 57 हजार 658, तथा अशोक नगर में 1 लाख 55 हजार 387 महिलाएं इस योजना से जुड़ी हुई हैं। दतिया में 1 लाख 44 हजार 239, अनूपपुर में 1 लाख 26 हजार 54, अलीराजपुर में 1 लाख 23 हजार 492, आगर मालवा में 1 लाख 17 हजार 255, उमरिया में 1 लाख 9 हजार 113, श्योपुर में 1 लाख 8 हजार 673, और हरदा जिले में 93 हजार 516 किसानों की योजना का लाभ मिला है। निवाड़ी जिले में 80 हजार 157 महिलाओं को योजना का लाभ मिला है। मुख्यमंत्री लाडली बहना योजना ने प्रदेश की महिलाओं के जीवन में आर्थिक आत्मनिर्भरता और सामाजिक सम्मान की भावना को बढ़ावा दिया है। महिलाएं इस राशि का उपयोग अपनी दैनिक जरूरतों, बच्चों की शिक्षा और छोटे व्यापार के लिए व्यवसाय के रूप में करती हैं। लाड़ली बनना योजना में केवल महिलाओं को आर्थिक रूप से मजबूत बनाना ही नहीं बल्कि पारिवारिक निर्णयों में भी उनकी भूमिका पर चर्चा करना है। मुख्यमंत्री लाडली उपहार योजना का व्यापक प्रभाव अब प्रदेश के हर कोने में देखा जा सकता है। गाँवों से लेकर शहरों तक महिलाएँ "आत्मनिर्भर मध्य प्रदेश" के निर्माण में अपनी नशे की भूमिका निभा रही हैं।




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