किसानो की कृषि उपज का तोल और मोल व मंडी टैक्स का शोषण करने के लिए भाजपा सरकार ने विगत 6 वर्षों से कृषि उपज मंडी का नही करवाया चुनावः सुश्री राधा मालवीय जि.प. सदस्य उज्जैन




भारत सागर न्यूज/नागदा । विगत 6 वर्षों से कृषि उपज मण्डियो के चुनाव नही कराकर भाजपा सरकार प्रशासक व व्यापारियों के माध्यम से किसानों का शोषण कर रही है किसानों को अपनी उपज का सही तोल व मोल नही मिल पा रहा है। यह आरोप लगाते हुए जिला पंचायत सदस्य सुश्री राधा मालवीय ने कृषि उपज मण्डी के चुनाव कराने की मांग मुख्यमंत्री से करते हुए कहा है ।




कि कृषि उपज मंडी के चुनाव में किसान अपना प्रतिनिधित्व सदस्य चुनता है और सदस्य द्वारा अध्यक्ष चुना जाता है जिसमे अध्यक्ष व सदस्य कृषि उपज मंडियों की मॉंनिटरिंग कर किसानो को उनकी उपज का सही दाम और तोल कराकर राहत दे सके व कृषि उपज मंडी के नवीन कार्य व अव्यवस्था को लेकर निर्णय ले सके।




सुश्री मालवीय ने कहा कि वर्तमान भाजपा सरकार की शोषण की नीतियों से किसान आक्रोशित है किसानों को नकली खाद, नकली बीज व उनकी उपज का मण्डियों में सही दाम नही मिल पा रहा है यहां तक कि फसलों का लागत मुल्य भी नही निकल पा रहा है यदि फसलें प्राकृतिक प्रकोप से फसलें खराब होती है तो न पर्याप्त मात्रा में मुआवजा दिया जा रहा है ना ही बीमा दिया जा रहा है इन सब बातों से डरकर भाजपा सरकार चुनाव नही करवाना चाहती है तथा प्रशासक व व्यापारियों के माध्यम से किसानों का आर्थिक शोषण किया जा रहा है। सीधा उदाहरण नगर पालिका व नगर निगम के अविश्वास प्रस्ताव के नियम संशोधन में ना आवेदन ना ज्ञापन, आन्दोलन के बिना ही अविश्वास प्रस्ताव के अधिनियम में संशोधन कर अविश्वास प्रस्ताव की अवधि बड़ा दी उसी नियत से सरकार ने कृषि उपज विक्रय की महत्वपूर्ण संस्था को महत्व नही दिया जिससे कृषि उपज का तोल व मोल मंडी टैक्स का शोषण होना सिद्ध होता है इसी कारण सरकार मंडियों का चुनाव नही करा रही है इसको लेकर जिला पंचायत की साधारण सभा में कृषि उपज मंडी व सोसायटी के चुनाव को लेकर प्रमुखता से विषय को उठाया था लेकिन 6 वर्ष बीत जाने के बाद भी कृषि उपज मंडी समिति के सरकार ने चुनाव नही कराये ताकि मंडी प्रशासन के सहारे तोल-मोल व मंडी टेक्स व् निर्माण कार्य व कृषक सुविधा के नाम पर शोषण करने के उदेश्य सही साबित होता है व् सरकार, मंडी प्रशासन को खुली छूट देकर सरकार मंडी प्रशासन, व् कुछ व्यापारी, कर्मचारी को मजबूरन चुनाव में पार्टी का कार्य करवा कर फायदा उठती है। यदि सरकार शीघ्र मण्डी चुनाव की घोषणा नही करती है तो मजबुरन किसानों को आंदोलन के लिए बाध्य होना पडेगा।

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