जहां तुलसी वहां विष्णु और जहां भक्ति वहां परम आनंद- श्रीकृष्णानुरागी पं. सत्येंद्र शर्मा

- तुलसी विवाह सिर्फ एक धार्मिक अनुष्ठान नहीं बल्कि धर्म और प्रकृति का मिलन भी है।




भारत सागर न्यूज/देवास। श्री राधागोविन्द धाम राजाराम नगर में श्री शालिग्राम जी व तुलसी विवाह हर्षोल्लास के साथ हुआ। मंदिर के व्यवस्थापक श्रीकृष्णानुरागी पं. सत्येंद्र शर्मा ने बताया कि भक्तों द्वारा भजन कीर्तन एवं महाआरती की गई। 




छप्पन भोग का नैवैद्य युगल सरकार को लगाया गया। तुलसी विवाह के महत्व को बताते हुए शर्मा ने कहा कि तुलसी विवाह केवल धार्मिक अनुष्ठान नहीं, बल्कि यह धर्म और प्रकृति के मिलन का प्रतीक भी है। 




तुलसी धरती की जीवनदायिनी शक्ति है और विष्णु सृष्टि के पालनकर्ता। दोनों का मिलन इस बात का संकेत है, कि मानव और प्रकृति का संबंध पवित्र और परस्पर पूरक होना चाहिए। यह पर्व हमें सिखाता है कि भक्ति में प्रेम, त्याग और निष्ठा का भाव सर्वोपरि है। आगे कहा कि तुलसी विवाह का पर्व हिंदू संस्कृति की आत्मा है। जिसमें भक्ति, प्रेम, नैतिकता और पर्यावरण-संरक्षण का समन्वय है।




यह विवाह हमें सिखाता है कि जीवन में पवित्रता, निष्ठा और प्रेम के बिना कोई भी संबंध टिकाऊ नहीं। तुलसी और विष्णु का पवित्र मिलन मानव को यह संदेश देता है कि जहां तुलसी, वहां विष्णु, जहां भक्ति, वहां परम आनंद है। श्री राधा गोविंद धाम की मातृशक्ति गीतू पाटनिया, ऊषा सोलंकी, नीतू गुप्ता, लक्ष्मी माली, पुष्पलता सोनगरा, सोनाली शर्मा,  सुनीता जैन के सहयोग से कार्यक्रम हर्षोल्लास के साथ संपन्न हुआ। श्री राधागोविन्द धाम के व्यस्थापक शर्मा ने समस्त भक्तों एवं नगरवासियों का आभार व्यक्त किया।

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