#Dewas मे क्या सद्भावना श्रद्धा और आस्था के स्थलों को विवादास्पद बनाने वालों पर शासन-प्रशासन का अंकुश जरुरी नहीं ?




देवास/(पंडित अजय शर्मा)/- देवास सहित जिले भर मे धार्मिक स्थानों के अवैध निर्माण तथा छल-कपट षड्यंत्र से कब्जा करने और अवैध कारोबार व अवैध गतिविधियों के मामले लगातार सामने आ रहे हैं। कुछ दलाल रुपी विशेष प्रजाति के अवैध कारोबार व अवैध व संदिग्ध गतिविधियों में संलिप्त कुछ लोगों द्वारा श्रद्धालुओं की भावनाओं को आहत किया जा रहा है। बात चाहे जूनियर देवास में मल्हार स्थित सुप्रसिद्ध धार्मिक स्थल श्री सद्गुरू शीलनाथ धुनी संस्थान परिसर में बनी समाधि (काली मस्जिद दरगाह) की हो या मीठे तलाब के किनारे पर बनी जरासी दरगाह को अवैध कारोबार व अवैध गतिविधियों के संचालन हेतु अवैध रूप से ही कब्जा करने की हो या फिर मोती बंगला स्थित लक्ष्मी बाई पार्क में बनी छोटी सी लोटनशाह दरगाह जो शासकीय नजूल भूमि पर अवैध कब्जा अतिक्रमण कर मस्जिद और अवैध दूकानों का पक्का निर्माण कर किराया वसूलने की हो या स्टेशन रोड गीताभवन की पट्टी में बने सार्वजनिक मरघट  जिसका प्रबंधन नगरपालिका निगम दर्ज होने के बावजूद जातिगत षड्यंत्र पूर्वक अवैध कारोबार व अवैध गतिविधियों के विस्तार की सोच से अवैध दवाब बनाकर कब्जा करने की हो। क्या स्थानिय पुलिस व शासन प्रशासन को जनहित में और स्वच्छता व विकास के लिए इन गंभीर विषयों को स्वतः संज्ञान में लेकर हस्तक्षेप करने की आवश्यकता महसूस नहीं होती है ?

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श्री सद्गुरू योगेन्द्र शीलनाथ धूनी संस्थान लोक न्यास मल्हार देवास।

                 बुद्धिजीवियों और ट्रस्ट के पदाधिकारियों से प्राप्त जानकारी अनुसार सद्गुरू योगेन्द्र शीलनाथ धूनी संस्थान ट्रस्ट की देखरेख व व्यवस्था के लिए छोटी पाती देवास महाराज ने सबसे पहले शंकर जी कानूनगो को अध्यक्ष बनाया था और शंकर जी कानूनगो ने वर्षों बाद में यह जिम्मेदारी हजारी पहलवान को सौंप दी। हजारी पहलवान ने उम्र के उस पड़ाव पर अपने पुत्र अर्जुन सिंह  पहलवान को ट्रस्ट धूनी संस्थान की जवाबदेही दी थी, हांलांकि हजारी पहलवान के समय से ही अजीत भल्ला और भगवान सिंह चावड़ा संस्थान से जुड़े हुए सक्रिय सदस्य थे और अर्जुन सिंह पहलवान ने अजीत भल्ला को संस्थान के अध्यक्ष पद पर आसीन किया जो वर्तमान में अध्यक्ष हैं।

                  

देवास स्थित मल्हार पर श्री सद्गुरू योगेन्द्र शीलनाथ धूनी संस्थान लोक न्यास की भूमि

                  सरकारी रिकॉर्ड अनुसार सद्गुरू योगेन्द्र शीलनाथ धूनी संस्थान ट्रस्ट की भूमि , ग्राम शंकरगढ़ हल्का नंबर 57 बालगढ़ राजस्व निरीक्षक मंडल 2 , सर्वे नंबर- 2, 5, 6 भी.सा. 10, 11, भी.सा. 12, 13, 14, 15, 16,भी.सा. 17, 19, 21, भी.सा. 20, 22, भी.सा. 20 बसरा 2 , 23, 24, भी.सा. 25, 28, भी.सा. 29, 27, 30, 31, 32, भी.सा. 33, 40, 41, 42, भी.सा. 34, 36, भी.सा. 35, 37, 38, 39, भी.सा. 43, 44, 45, 46, भी.सा. 57/2, 58/2, भी.सा. 68/2, 69/2, भी.सा. 70/2, 71/2, भी शामिल है।

                  शासकीय रिकॉर्ड अनुसार श्री सद्गुरू योगेन्द्र शीलनाथ धूनी संस्थान लोक न्यास मल्हार देवास प्रांगण में ही सिर्फ लगभग 600 स्क्वायर वर्ग फीट में शून्य रुपी एक समाधि भी दर्शाई गई है। इस समाधि के बारे में स्थानीय बुद्धिजीवी लोग और पदाधिकारियों एवं नाथ संप्रदाय के बुद्धिजीवियों के मुताबिक यह कालीचरण महाराज नाथ बाबा की समाधि है, जिसे कुछ मुस्लिम लोग दरगाह काली मस्जिद दरगाह के रूप में पूजते हैं। हालांकि यह धार्मिक आस्था का केंद्र है जहां हिन्दू व मुसलमान सभी अपनी-अपनी श्रद्धा अनुरुप समाधि की पूजा अर्चना करने आते हैं। 

                 हालांकि धूनी संस्थान व सामाजिक बुजुर्गों से प्राप्त जानकारी अनुसार धूनी संस्थान के प्रांगण भूमि में स्थित छोटी की समाधि (काली मस्जिद दरगाह) की व्यवस्था भी शंकर जी कानूनगो और हजारी पहलवान के समय तक व्यवस्थापक एवं अध्यक्ष वे खुद ही रहे थे , किंतु कुछ समय बाद हजारी पहलवान ने लगभग 600 स्क्वायर वर्ग फीट में बनी  समाधि (काली मस्जिद दरगाह) की देखरेख व पूजा पाठ के लिए यशवन्त व्यायाम शाला के विश्वसनीय रहे अर्जुन सिंह बाबा को दे दी थी, जो आपसी सौहार्द्र व भारतीय एकता का जीता-जागता प्रमाण है। अर्जुन बाबा वर्तमान में “सज्यादा नसीन, गद्दी नसीनअर्जुन बाबा कलंदरी“ , के नाम से मशहूर है, जो पूरी तन्मयता और तन, मन और धन से पूर्ण पारदर्शिता और ईमानदार जवाबदेही तभी से निभाते चले आ रहे हैं। समाज भी खुश हैं, लेकिन विगत वर्षों से इस दरगाह पर कुछ विध्न संतोषी समाजद्रोही लोगों की नियत दरगाह पर हक जमाने जमीन कब्जा करने की गंदी नियत बनने लगी जो काफी लंबे समय से जारी है।जिन पर पुलिस व शासन-प्रशासन द्वारा लगाम लगाना जनहित में न्यायोचित होगा।


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धूनी संस्थान प्रांगण में स्थित समाधि (काली मस्जिद दरगाह) की आस्था को कलंकित करने की साज़िश?

देवास सहित जिले भर मे धार्मिक स्थानों के अवैध निर्माण तथा छल-कपट षड्यंत्र से कब्जा करने के मामले लगातार सामने आ रहे हैं । देवास जिले का आम जनमानस सहित श्रद्धालुओं की भावनाऐं आहत की जा रही है ।

 देवास मे शीलनाथ धूनी संस्थान प्रांगण में स्थित समाधि (काली मस्जिद दरगाह) नामक स्थान सभी जाति, धर्म और वर्ग की श्रद्धा तथा आस्था व विश्वास का जीता-जागता उदाहरण  है । यहां वर्षो से सेवा दे रहे अर्जुनसिंह राजपूत कलन्दरी(बाबा) लाखों-करोड़ों लोगों के लिये प्रेरणा बनकर सेवा का स्वर्णिम प्रमाण बने हैं,तो वहीं क्षेत्र मे कुछ अवैध गतिविधियों का संचालन करने वाले,शहर की शांति के दुश्मनों की आंख की किरकिरी भी बने हुए हैं।

               असामाजिकों की साजिश कहें या भविष्य की बड़ी प्लानिंग कि धूनी संस्थान प्रांगण में स्थित छोटी सी समाधि (काली मस्जिद दरगाह) के नाम पर हाल ही में बनाई गई कथित फर्जी कमेटी जो वक्फ बोर्ड को गुमराह कर बनवाई गई, जबकि यह धूनी संस्थान प्रांगण में ही है ये वक्फ की भूमि ना पहले कभी थी और ना आगे कभी हो सकती है तथा यहां अवैध कारोबारियों और समाज में नफरतों का व्यापार करने वालों द्वारा अवैध कब्जे का प्रयास निरंतर किया जा रहा है। हालांकि इस फर्जी कमेटी के जिम्मेदारों पर जबरन कब्जा करने और माहौल बिगाडने  की धाराओं में प्रकरण भी दर्ज है, जो एसडीएम न्यायालय में विचाराधीन है। जिसकी जांच होना समाज हित में अत्यंत आवश्यक है। 

 इसी कथित फर्जी समिति के सहयोग मे सट्टा-जुआ अवैध नशीले मादक पदार्थो व अन्य अवैध कारोबार सहित समाज व शहर की भोली-भाली जनता के दिलों की शांत फिजा में नफरत के जहर का विस्तार करने के आरोपी भी खुलेआम दिखाई दे रहे हैं, जो खुद मोबलींचींग का मुख्य आरोपी हैं,ये जुआ सट्टा पत्ते हाजिर व नशीले पदार्थों का अवैध कारोबार चलाता है, अभी वर्तमान में मोमिनटोले में अपने भाई रिस्तेदार सरदार ग्रुप के साथ जुआ सट्टा चला रहा है।

और एक ऐसे ही व्यक्ति को अध्यक्ष बनाया जो कभी धूनी संस्थान प्रांगण में स्थित समाधि (काली मस्जिद दरगाह) मे दिखाई ही नहीं दिया। सबसे बड़ी बात कि यह व्यक्ति देवास का है ही नहीं ! इतना ही नहीं बल्कि इस व्यक्ति को साजिश के तहत कुछ दिनों पहले ही देवास में लाकर बसाया गया है। इसको एक मोबाइल पर पोर्टल बनाकर सोशल मिडिया में अनर्गल पोस्ट वायरल करना तथा तहसील व एसडीएम कार्यालय में अपनी दलाली और पेंठ व दवाब बनाकर जमीनो पर अवैध कब्जों को अपने मनमाफिक करवाने के लिए पाला जा रहा है। जो वो बखुबी कर भी रहा है। ये व्यक्ति  किसकी सरपरस्ती व किस दम पर इस प्रकार प्रशासन को अपने पत्रकार होने का गुमराह कर अवैध कारोबारियों के साथ काम कर रहा है। क्या शासन-प्रशासन के लिए यह जांच का गंभीर विषय नहीं है ?

               यहां धूनी संस्थान प्रांगण में स्थित समाधि (काली मस्जिद दरगाह) के अध्यक्ष धूनी संस्थान के ही अध्यक्ष हजारीसिंह पहलवान तथा उनके पुत्र अर्जुन पहलवान रहे हैं और अब वर्तमान में अर्जुन बाबा कलंदरी हजारी पहलवान द्वारा दी गई जवाबदारी पूर्ण पारदर्शितापूर्ण ईमानदारी एवं निष्ठापूर्वक निभा रहे हैं, समाज इस सेवा से संतुष्ट है। लेकिन कुछ विघ्नसंतोषी, विघटनकारी,सोच के व्यक्ति योजनाबद्ध तरीके से इस धार्मिक सार्वजनिक श्रद्धा केन्द्र को कब्जा कर अपनी अवैध गतिविधियों तथा अवैध कमाई का केन्द्र बनाने मे सक्रिय हैं। इतना ही नहीं ये समाज और इंसानियत के दुश्मन, धूनी संस्थान प्रांगण में स्थित समाधि (काली मस्जिद दरगाह) जो देवास में हिन्दू मुस्लिम एकता , सोहार्द , सद्भावना का और श्रद्धा व आस्था को कलंकित करने और शहर में नफ़रत फैला कर शांति व प्रेम का माहौल बिगड़कर स्थानीय पुलिस व शासन और प्रशासन को बदनाम करने का भी बड़ा षडयंत्र है? शासन-प्रशासन को विगत वर्षों से चल रहा विघ्नसंतोषीयों के इस षडयंत्र  को खत्म करना ही जनहित में न्यायोचित होगा।

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मीठा तलाब किनारे पर अवैध नशे के कारोबारियों का अवैध अतिक्रमण ?

मीठातालाब के किनारे पहले बनाई छोटी सी दरगाह, फिर उसके आसपास मादक पदार्थ माफियाओं तथा अवैध कारोबारियों ने प्रत्यक्ष रुप से अपनी अवैध गतिविधियों का विस्तार करने की गंदी नियत से षड्यंत्र पूर्वक अवैध कब्जा कर लिया है, जिसकी शिकायत शासन-प्रशासन को हिन्दू संगठनों के जागरुक पदाधिकारियों द्वारा निरंतर की जा रही है। क्या सद्भावना और श्रद्धा  व आस्था के स्थलों को विवादास्पद बनाने वालों पर पुलिस व शासन-प्रशासन के लिए स्वत संज्ञान लेते हुए कार्यवाही का अंकुश लगाना जनहित में जरुरी नहीं ?

मोतीबंगला रोड पर लोटनशाह दरगाह की आड़ मे षड्यंत्र पूर्वक अवैध निर्माण ?

            मोतीबंगला रोड के लक्ष्मीबाई पार्क में वर्षों से लोटनशाह दरगाह बनी हुई थी। यह दरगाह भी हिन्दू व मुसलमानो की मानो रोज पूजा अर्चना दुआ करने का आस्था का केंद्र बनी रही है। किंतु यहां भी इन समाज विरोधियों को आपसी समरसता रास नहीं आई और दरगाह की आड़ मे मस्जिद सहित अवैध दुकानों का निर्माण कर किराया वसूला जा रहा है । यहां यह अवैध निर्माण है की बात को म.प्र. वक्फ बोर्ड भोपाल तथा नजूल राजस्व विभाग भी मान रहा है कि निर्माण पूर्ण रूप से अवैध है। वहीं अब अवैध अतिक्रमण निर्माण करने वाले अवैध निर्माण को वक्फ बोर्ड मे दर्ज करवाने का कुप्रयास कर रहे हैं । इसकी शिकायत भी हिन्दू जागरण मंच के माखन सिंह राजपूत ने म.प्र. वक्फ बोर्ड भोपाल, जिला कलेक्टर,जिला पुलिस अधीक्षक सहित एसडीएम व निगम आयुक्त को लिखीत में शिकायत दर्ज करवाई है, प्रशासन द्वारा अवैध कब्जे पर कार्रवाई ना होते देख न्यायालय में एक परिवाद भी दायर किया है। शासन-प्रशासन को इस प्रकार किये जा रहे अवैध अतिक्रमण, कब्जे एवं निर्माण को ध्वस्त कर विघ्नसंतोषीयों को सबक सिखाना ही जनहित में न्यायोचित है।


स्टेशन रोड पर मरघट में फर्जी कमेटी का षड्यंत्रपूर्वक मरघट को कब्जा करने का प्रयास?

              ऐसा ही एक मामला स्टेशन रोड के सार्वजनिक कब्रिस्तान  व मरघट जो की शासकीय देव स्थान प्रबंध के अधीन भूमि है। इस भूमि पर भी राजनीतिक सहयोग से पिंजारे, मन्सूरी ,चूड़ी वाले, घोंसी तथा मेव समाज ने प्रशासन को गुमराह करते हुए संबंधित अधिकारियों से सांठगांठ कर अपना अवैध कब्जा   कर रखा है । जबकि यहां 2012 मे बड़ा विवाद होकर मामला न्यायालय मे आज भी विचाराधीन है । वाल्मिक समाज के अलग अलग जिम्मेदारों सहित कुछ हिन्दू संगठनो ने भी समय समय पर सार्वजनिक कब्रिस्तान तथा मरघट के सीमांकन करने व मरघट हिन्दुओं को देने का आवेदन किया । लेकिन बड़ा लेनदेन व तुष्टिकरण की राजनीति के चलते मरघट तथा सार्वजनिक कब्रिस्तान पर अवैध कब्जाधारियों के हौसले बुलंद है । यहां सार्वजनिक कब्रिस्तान और मरघट के स्थान पर षडयंत्र पूर्वक मुस्लिम कब्रिस्तान का बोर्ड लगा दिया गया है ।

             

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              प्राप्त जानकारी अनुसार एक बडी साजिश के तहत यह शासकीय नजूल भूमि को वक्फ बोर्ड मे नियमो के विरुद्ध फर्जी दर्ज करवाने का कुप्रयास भी किया गया है । जबकि मुस्लिम कानून के जानकारों के अनुसार शासकीय नजूल भूमि वक्फ बोर्ड मे दर्ज हो ही नहीं सकती है। क्योंकि वह भूमि शासकीय देवस्थान प्रबंध (प्रशासन) के अधीन होती है । हांलांकि स्टेशन रोड मरघट का सीमांकन 1979 मे भौरासा के देवीलाल मालवीय तथा देवास के रामसिंह मोर्य द्वारा रसूल खां पटवारी और सहयोगियों से कराया था और यहां लगभग दो एकड़ से अधिक मरघट बताकर बाउण्ड्री की बात कही गई थी । किन्तु षडयंत्रकारीयो ने साजिश के तहत उस समय सद्भावनाओं व भाईचारे का हवाला देकर  मरघट व कब्रिस्तान अलग अलग नहीं करने दिया गया। जबकि यहां आज भी कल्लुदास महाराज और वाल्मीकि समाज की पक्की समाधियां  मौजूद हैं ।

                           इतना ही नहीं यहां वाघमारे परिवार को देवास रियासत द्वारा सोने चांदी की मुहर लगाकर मरघट मे ही 100x159 भूमि देना बताया जाता है। यहां मनोरमा वाघमारे की समाधि को 2012 मे कथित कमेटी द्वारा जेसीबी से तोड़ दिया गया था । इसकी शिकायत वाघमारे परिवार द्वारा मंत्री विजयलक्ष्मी साधो से भी की गई थी।इसी प्रकार इन विघ्नसंतोषीयो ने कथित फर्जी कमेटी के नाम से सलुजा परिवार की भूमि को भी अपनी बताकर विवाद किया था,और उनका निर्माण रोका गया, तब यह मामला भी न्यायालय पहुंच गया ।।अनेक संगठनों ने शासन प्रशासन पुलिस को मरघट तथा सार्वजनिक कब्रिस्तान पर कुछ विघ्नसंतोषीयों की फर्जी कमेटी द्वारा कब्जे की शिकायत के बावजूद कोई कार्यवाही ना करने से अवैध कर्ताओं के हौसले बुलंद हैं।

             

              जबकि शासकीय दस्तावेजों मे प्रमाणित है कि मरघट सार्वजनिक कब्रिस्तान  प्रबंधक नगरपालिका (अब नगरनिगम ) है, इतना ही नहीं शिवनारायण वर्मा के पट्टे व शासकीय कागजो मे भी मरघट स्पष्ट है, तो फिर वक्फ मे केसे दर्ज हो सकती ये भूमि है? इससे यह साबित होता है कि कथित रूप से बनाई गई कमेटी म.प्र. वक्फ को गफलत में रखकर गुमराह कर पूर्ण फर्जी तरीके से कमेटी बनी हुई है। जबकि यहां हिन्दू समाज का मरघट है, यहां बच्चे और भगत नाथ संप्रदाय के लोगों को दफन किये जाते रहे हैं । तो फिर समाज के कुछ विघ्नसंतोषीयों को किसने और क्यों ये अधिकार दिया कि वो इसे मुस्लिम समाज की अलग-अलग जातियों के आधार पर कब्रिस्तान बनाकर घोषित कर दे ?

             

               मुस्लिम शिक्षाविदों के अनुसार स्टेशन रोड का मरघट वक्फिया संपत्ति कैसे हो गया?। यह मरघट था, कब्रिस्तान कब और कैसे हो गया ? यह वक्फ के नियमों व उसूलों के खिलाफ वक्फ को बदनाम करने की साज़िश है। क्योंकि जब पूर्व से ही देवास के कर्मचारी कालोनी मे मुस्लिम कब्रिस्तान मौजूद है , तथा वही शासकीय गजट मे दर्शाया गया है, जो वह रेल्वे स्टेशन के सामने के पते से दर्ज है। इस संबंध मे मुस्लिम विद्वानों का यह भी कहना है कि कुरआन सरीफ तथा हदिस मे जातीय आधार पर अलग अलग कब्रिस्तान बनाने का कहीं भी उल्लेख नहीं है । इतना ही नहीं मुस्लिम विद्वानों अनुसार जब राजा तथा रंक,अमीर गरीब एक ही मस्जिद मे एक साथ नमाज पढ़ सकते हैं,और  एक साथ भोजन कर सकते हैं। तो फिर कब्रिस्तान अलग-अलग क्यों ? ये मुस्लिम समाज को बांटने और बदनाम करने वाले समाज द्रोही लोगों द्वारा अपने स्वार्थ सिद्ध करने के लिए ऐसा कुकर्म कीया जा रहा है,। जो पूरी तरहां हमारे इस्लाम धर्म और कुरान सरीफ के विरुद्ध है।

              

               देवास मे बड़ी साजिस तथा योजना के तहत दरगाह और शासकीय नजूल  कब्रिस्तान पर अवैध निर्माण व कब्जा किया जा रहा है । जबकि कर्मचारी कालोनी के कब्रिस्तान मे मधुर स्वीट्स ,मिल्क कार्नर  मन्सूरी(पिंजारा) परिवार के अफजल मन्सूरी,उनके माता पिता को कर्मचारी कालोनी कब्रिस्तान मे दफन किया गया है ।ऐसे अनेक उदाहरण हैं । कब्रिस्तान अलग जातियो  मे नहीं होता । जैसे एक शमशान मे सभी जातियों का अन्तिम संस्कार होता है, वैसे ही एक कब्रिस्तान मे सभी जातियों के मुस्लिम को भी दफन किया जाता रहा है। ऐसे ही यदि समाज द्रोही लोगों के होसले बड़े और अगर सबका अलग कब्रिस्तान होगा तो शहर कब्रिस्तान बनकर रह जाएंगे ।

              

               यहां तक कि सार्वजनिक कब्रिस्तान , मरघट मे बिना नगरनिगम की अनुमति के कथित समिति ने पक्का निर्माण किया है । ठीक इसी तरह अवैध निर्माण देवास के अनेक कब्रिस्तानों मे होकर प्रशासन-पुलिस नगरनिगम की लापरवाही को प्रमाणित कर रहे हैं । साजिश के तहत स्टेशन रोड सार्वजनिक कब्रिस्तान मरघट मे अवैध रुप से अमरुद के सौ से अधिक पेड लगाकर अवैध कारोबार किया जा रहा है। जबकि वहीं पेड़ के स्थान पर पांच सौ से अधिक कब्र बन सकती थी । कथित कमेटी द्वारा कब्रिस्तान मे मस्जिद का अवैध रास्ता बनाकर जमात खाना भी बनाने की तैयारी है। जो कहीं ना कहीं एकता व सोहार्द बिगाड़ने की एक बड़ी साज़िश नजर आती है

         

              स्टेशन रोड के सार्वजनिक मरघट का सीमांकन शीघ्र ही हिन्दू संगठनों द्वारा करवाये जाने के संकेत मिले हैं। इतना ही नहीं हिंदू संगठनों का कहना है कि देवास मे लव जिहाद की तर्ज पर लेण्ड जिहाद के मामले लगातार बढ़ रहे हैं । शासन प्रशासन-पुलिस अधिकारियों को समय रहते ऐसे गुमराह करने वाले तत्वों पर लगाम लगा देनी चाहिये ।वक्फ बोर्ड को गुमराह कर अवैध कमेटियां बनाने वालों की जांचकर कड़ी कार्यवाही करना चाहिये ।


और अंत में जनता जानना चाहती है कि.....

             

         क्या  देवास जिले की जनता के बीच आपसी सोहार्द व भारतीय एकता कायम रखने की जवाबदेही पुलिस व शासन-प्रशासन की नहीं है? क्या पुलिस व शासन-प्रशासन किसी भी तरहां का समाज विरोधी कार्य करने वाले लोगों की उच्च स्तरीय जांच कर अवैध गतिविधियों में लिप्त लोगों को सलाखों के पीछे पहुंचाने की जवाबदेही तय नहीं कर सकते है? या पुलिस व शासन-प्रशासन किसी बड़ी घटना दुर्घटना का इंतजार कर रही है? क्या पुलिस व शासन-प्रशासन द्वारा स्टेशन रोड पर मरघट में फर्जी कमेटी का षड्यंत्रपूर्वक कब्जा करने की साज़िश का अंत होगा? क्या मिठा तलाब किनारे पर नशेड़ियों का अवैध अतिक्रमण हटाया जाएगा? क्या मोती बंगला रोड पर स्थित लोटनशाह दरगाह की आड़ मे अवैध निर्माण ध्वस्त होगा? क्या पुलिस व शासन-प्रशासन और जनप्रतिनिधियों का प्रत्यक्ष ,अप्रत्यक्ष सहयोग अवैध गतिविधियों ,अवैध निर्माण तथा अवैध कब्जा करने वालों के साहस को बढाने में ही सहयोगी बना रहेगा ? या देवास के सोहार्द, एकता, समरसता, सद्भावना, इंसानियत व मानवता को जिंदा रखने के न्यायोचित कड़े कदम भी उठाएंगे ?

Comments

Unknown said…
बहुत बढिया
शासन प्रशासन को तो ध्यान देना चाहिये साथ ही आम जनता को भी ध्यान देना चाहिये।

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