भक्ति भाव से ग्रहण का असर भी खत्म हो जाता है - सद्गुरु मंगल नाम साहेब




भारत सागर न्यूज/देवास। भक्ति स्वतंत्र सकल गुण खानी तासे अमृत पावही प्राणी, भक्ति सब गुणों की खान है। इसे सद्गुरु के संवाद से ही प्राप्त किया जा सकता है। गुरु भक्ति कर देती शकल पाप का नाश। जैसे चिनगी आग की पड़े पुराने घास। शरद पूर्णिमा गुरु भक्ति का ही दिन है उस दिन चंद्रमा पर अमृत बरसता है। इसी संवाद को प्राप्त करने के लिए चंद्रमा को एक ऋषि ने श्राप दे दिया था जिससे चंद्रमा दमा रोग से हृदय रोग से पीड़ित थे। शरद पूर्णिमा को चंद्रमा को भगवान शंकर ने अमृत बरसा कर श्राप से मुक्त किया था। वह अमृत की बरसात को लोग आज भी चंद्रमा की रोशनी में खीर रखकर उसे खीर को ग्रहण करते हैं जिससे कि मानव रोग मुक्त हो जाता है। इसलिए शरद पूर्णिमा पर दूध, चावल की खीर बनाकर के सबमें प्रदान की जाती हैं बांटी जाती है। 


जिससे मानव जीव को आरोग्यता प्राप्त होती हैं एवं शरीर मे नई ऊर्जा का संचार होता है। यह विचार शरद पूर्णिमा पर सदगुरु कबीर सर्वहारा प्रार्थना स्थलीय सेवा समिति मंगल मार्ग टेकरी पर आयोजित चौका आरती गुरु वाणी पाठ में सद्गुरु मंगल नाम साहेब ने व्यक्त किए। उन्होंने आगे कहा कि गुरु शिष्य के बीच में जो संवाद होते हैं वह चेतना को जागृत करने वाले होते हैं। सद्गुरु की वाणी और विचारों को अगर पूरी निष्ठा के साथ जीवन मे उतारा जाये तो इस सांसारिक भवसागर से सहज ही पर उतर सकते हैं। भक्ति भाव धार्मिक आयोजनों से ग्रहण का असर खत्म हो जाता है। गुरु द्वारा शिष्यों को अपनी वाणी और विचारों से समझाइए दी जाती है। 


जागृति प्रदान की जाती है की भाई जागो प्रकृति से ही शरीर का निर्माण हुआ है। जैसे प्रकृति में नव चेतना का विकास होता है वैसे ही शरीर में भी नव चेतना का विकास होता है। अनुयाई साध संगत द्वारा सद्गुरु मंगल नाम साहेब की आरती कर नारियल भेंट किए गए। इस अवसर पर सदगुरु कबीर के अनुयाई साध संगत उपस्थित थे। यह जानकारी वीरेंद्र चौहान ने दी।








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