पीड़ित ने प्रेस वार्ता में लगाये आरोप। विडियो व दस्तावेज होने के बावजूद भी भूमाफिया पर नहीं हुई कार्यवाही
भारत सागर न्यूज़ देवास/ नागदा में इन दिनों शासन द्वारा भूमाफियाओं के दबाव में स्थानीय अधिकारी कार्य किया जा रहा है। न्यायालय से आदेश होने के बाद भी मुझे इंसाफ नहीं मिल रहा है। यह बात एक अजा वर्ग के पीड़ित किसान ने प्रेस कान्फ्रेंस में मीडिया के समक्ष कही। पीड़ित अंकित परमार ने शुक्रवार को प्रेस वार्ता में कहा कि मेरी जमीन पर कुछ लोग वर्षो से कब्जा करके बैठे हुए हैं। न्यायालय ने आदेश दे दिया तथा कब्जा भी दिला दिया उसके बावजूद भी भू माफिया ने प्रशासन द्वारा कब्जे के लगाये गये निशान उखाड़ दिये है। राजस्व विभाग द्वारा कब्जा दिलाने के दौरान जमीन पर कब्जा करने वाले आशिक मेव व उसके साथियो ने मेरे व मेरे परिवार के साथ मारपीट की। इस दौरान मेरे परिवार की महिलाओं के साथ भी मारपीट की गई। इतना ही नहीं आशिक मेव व उसके साथियो ने महिला पुलिस आरक्षक शर्मिष्ठा शुक्ला के साथ भी झुमाझटकी व धक्कामुक्की करते हुए अभद्रता की। पटवारी द्वारा बनाये गये पंचनामे में भी इस विवाद का उल्लेख किया गया। उसके बावजूद पुलिस ने शासकीय कार्य में बाधा डालने का प्रकरण दर्ज नहीं किया।
ढाई बीघा जमीन पर कर रखा था अवैध खनन -
पीड़ित अंकित परमार ने बताया कि वह चाय की दुकान लगाकर अपना जीवन यापन करता है। उसकी पैतृक जमीन जुना नागदा हल्का क्षेत्र में रांगोली गार्डन के सामने ग्राम भीमपुरा के रास्ते पर 5.5 बीघा के लगभग स्थित है। इस जमीन पर पिछले 13 वर्षो से ईंट भट्टा संचालक आशिक मेव ने अतिक्रमण कर रखा था। आशिक मेव के द्वारा मेरी लगभग ढाई बीघा जमीन से पीली मिट्टी निकाली तथा शेष तीन बीघा जमीन पर आशिक व उसके साथी शंभु ने कब्जा कर रखा था। जब हम जमीन पर गत वर्ष खेती करने पहुंचे तो हमने देखा कि इन लोगो ने हमारी जमीन पर कब्जा कर रखा है। मैने इसकी शिकायत दिनांक 5 अक्टुबर 2024 को पहली बार जनसुनवाई में की थी। इस शिकायत के बाद भी आशिक मेव द्वारा मुझे डराया व धमकाया गया और जान से मारने की धमकी दी। उसका कहना था कि यह जमीन मेरी है जब मैंने उसे अपनी जमीन के कागज दिखाये तो वह कहने लगा कि दो लाख रूपये बीघा के हिसाब से दस लाख रूपये ले लो और जमीन भूल जाओं। जबकि वर्तमान में उस जमीन की कीमत 1 करोड़ से अधिक है।
इसके बाद तहसीलदार के समक्ष जमीन के सीमांकन का आवेदन प्रस्तुत किया जिस पर तहसीलदार ने जमीन के सीमांकन का आदेश दिया और मैंने खनिज विभाग में भी अवैध खनन की शिकायत की थी। खनिज विभाग से टीम भी आई थी एवं उन्होने जांच की जिसमें अवैध खनन पाया गया था। अवैध खनन का पंचनामा भी दिनांक 23 नवम्बर 2024 को बना था। जिसमें पटवारी रिपोर्ट भी दी गई थी। जिसमें आशिक पिता साबिर खान एवं शंभु को आरोपी बनाया गया था। 24 दिसम्बर को अपर कलेक्टर उज्जैन द्वारा आशिक को नोटिस भी दिया गया ।
पुलिस के सामने की मारपीट-
तहसीलदार के आदेश पर दिनांक 25 अक्टुबर 2024 को मेरी जमीन का सीमांकन हुआ लेकिन उसके बाद भी मुझे मेरी जमीन नहीं मिली। तहसील कार्यालय में धारा 250 की कार्यवाही के लिये प्रकरण चला। दि. 20 मई 2025 को तहसीलदार ने मुझे जमीन पर कब्जा लेने का आदेश जारी किया गया। जिसके बाद राजस्व विभाग पुलिस बल की मौजुदगी में मुझे 2 जून 2025 को कब्जा दिलाने मौके पर पहुंचा। वहां पर कब्जा करते समय पुलिस बल के सामने ही आशिक मेव व उसके साथियो ने मेरे साथ मारपीट शुरू कर दी। यह मामला दोपहर 1 बजे का था उसके बाद मैं मण्डी पुलिस थाने में रिपोर्ट लिखाने पहुंचा तो पुलिस का कहना था कि आशिक मेव के खिलाफ रिपोर्ट नहीं लिखेंगे।
जबकि मेरे द्वारा पुलिस को मौके पर हुई मारपीट के विडियो भी दिखाये गये जिसमें आशिक मेव भी दिखाई दे रहा था लेकिन उसके बाद भी पुलिस द्वारा आशिक मेव पर प्रकरण दर्ज नहीं कर रही है। इसके बाद जब मैंने हिन्दू संगठनो से सम्पर्क किया एवं उनसे चर्चा की तो उन्होने एसपी से चर्चा कर रात करीब 8 बजे पुलिस ने प्रकरण दर्ज किया। लेकिन पुलिस ने आशिक मेव पर शासकीय कार्य में बाधा डालने का प्रकरण दर्ज नहीं किया। पुलिस का कहना था कि राजस्व विभाग की रिपोर्ट पर प्रकरण बनाया जायेगा। जबकि राजस्व विभाग की रिपोर्ट भी हमने पुलिस विभाग को दे दी थी। उसके बाद भी शासकीय कार्य में बाधा डालने का प्रकरण दर्ज नही हुआ।
एसडीएम ने भी नहीं की सुनवाई -
एसडीएम ने भी नहीं की सुनवाई -
राजस्व विभाग ने जब 2 जून को हम कब्जा दिलवाया उस समय हमने जमीन पर पटवारी और पुलिस की मौजूदगी में सीमा चिन्ह लगाये गये थे। जब हम अगले दिन सुबह जमीन पर पहुंचे तो वह सीमा चिन्ह हटा दिये गये थे। उसकी शिकायत करने जब पुलिस के पास पहुंचे तो पुलिस का कहना था कि सीमाचिन्ह हटाने की शिकायत एसडीएम के यहां से रिपोर्ट आने के बाद कार्यवाही की जायेगी। 3 जून को मेरे द्वारा तहसीलदार एवं एसडीएम को शिकायत की गई उसके बावजूद अभी तक कोई कार्यवाही नहीं हुई। तहसीलदार, एसडीएम व पुलिस तीनो मिलकर या तो किसी राजनेता के दबाव में कार्य कर रहे है या किसी लाभ शुभ के चलते मुझे इंसाफ नहीं दिला रहे है।
बाइट पीड़ित किसान अंकित परमार और उसके पिता
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