अंतर की बुराइयों को मिटाओ, अनंत सुखों को अपनाओ – सद्गुरु मंगल नाम....!
"जब सद्गुरु कबीर ने खुद को टटोला: 'मुझसे बुरा न कोई', तभी मिला सर्व सुखों का सागर" – सद्गुरु मंगल नाम साहेब"
भारत सागर न्यूज/देवास। सदगुरु कबीर ने अपनी ही बुराइयों को ढूंढा किसी में बुराई दिखी तो उन्होंने सोचा कि हम दूसरों की बुराइयों को तो ढूंढते हैं। लेकिन हम अपनी बुराई को नहीं ढूंढते। दूसरों की बुराइयों को ढूढ़ते- ढूंढते हम मर जाएंगे। दूसरों की तरफ उंगली उठाते उठाते हम 84 लाख योनियों में भटकते रहेंगे। इसलिए दूसरों की बुराइयों को छोड़कर अपनी ही बुराइयों को ढूंढो।
सद्गुरु कबीर ने जब अपनी बुराइयों को ढूंढा तो देखा कि मुझसे बुरा न कोई। उन्होंने अपनी ही बुराइयों को ढूंढा। जिसमें सब प्राप्त हो गया और सर्व सुखों का सागर मिल गया। जो अपनी ही बुराइयों को ढूंढता है। उसे सर्व सुखों का सागर मिल जाता है। यह विचार सद्गुरु मंगल नाम साहेब ने नीरज साहेब, नितिन साहेब के सानिध्य में आयोजित चौका आरती, गुरुवाणी पाठ, गुरु शिष्य चर्चा में व्यक्त किए।
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