शासन से छल का मामला: ईओडब्ल्यू की जांच के बाद आया न्यायालय का सख्त फैसला।




भारत सागर न्यूज/नीमच। विशेष न्यायाधीश भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम, 1988, नीमच  राकेश कुमार शर्मा की अदालत ने शासन के साथ करोड़ों की धोखाधड़ी करने वाले दो तत्कालीन शासकीय अधिकारियों और एक व्यवसायी को दोषी ठहराते हुए 5-5 वर्ष के सश्रम कारावास तथा 10-10 हजार रुपये के अर्थदंड से दंडित किया है।




दोषियों में तत्कालीन वाणिज्यिक कर अधिकारी राजू मंडोरिया, तत्कालीन वाणिज्यिक कर निरीक्षक सुभाषचंद्र परिहार और कृष्णा ट्रेडिंग कंपनी, नीमच के प्रोप्राइटर व्यवसायी सोनू रूगवानी शामिल हैं। 



इनके विरुद्ध धारा 420 सहपठित 120बी भारतीय दंड संहिता, 1860 के तहत सजा सुनाई गई। प्रकरण में शासन की ओर से विशेष लोक अभियोजक विवेक सोमानी ने पैरवी करते हुए बताया कि मई 2011 से मार्च 2012 के बीच वाणिज्य कर विभाग से जारी फार्म नंबर 49 का दुरुपयोग करते हुए करोड़ों रुपये की राजस्व हानि पहुंचाई गई। 




व्यापारी सोनू रूगवानी ने कंप्यूटर की मदद से फार्म 49 को स्कैन कर एडिट किया और अवैध रूप से कई व्यापारियों को जारी किया, जिससे वाणिज्य कर बेरियर, नयागांव, नीमच में बिना कर चुकाए माल पार कराया गया।



इस आपराधिक षड्यंत्र में दोनों शासकीय अधिकारी भी शामिल थे, जिन्होंने विभागीय प्रक्रिया का दुरुपयोग कर अवैध लाभ अर्जित करने में सहयोग किया। वाणिज्य कर अधिकारी डी.के. जैन द्वारा मामले की शिकायत आर्थिक अपराध प्रकोष्ठ, इंदौर इकाई को दी गई थी, 

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जिसके आधार पर जांच शुरू की गई और अपराध पंजीबद्ध किया गया।




जांच में यह प्रमाणित हुआ कि आरोपियों द्वारा किए गए फर्जीवाड़े से शासन को कुल 7.34 करोड़ रुपये का नुकसान हुआ। ईओडब्ल्यू द्वारा प्रस्तुत अभियोग पत्र के आधार पर न्यायालय ने सभी आरोपियों को दोषी करार देते हुए सश्रम कारावास और आर्थिक दंड से दंडित किया। अभियोजन पक्ष की ओर से इस प्रकरण की प्रभावी पैरवी विशेष लोक अभियोजक विवेक सोमानी द्वारा की गई।

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