भाजपा में नजर नहीं आ रहा "फील गुड", सांसद-विधायक के बीच बढ़ती दूरियों ने बढ़ाई चिंता !

-शुरुआत में थे साथ-साथ मगर अब नजर आ रहे दूर-दूर, पैलेस विरोधी नेताओं ने सांसद के कंधे पर रखा अपना हाथ




देवास। भाजपा में सबकुछ ठीक नहीं चल रहा है। फील गुड तो कतई नहीं है। एक या दो नहीं बल्कि जिले की पांचों विधानसभाओं में ये स्थिति है। संगठन असहाय नजर आ रहा है तो नेताओं के बीच तकरार की खबरें सामने आ रही है। विधानसभा चुनाव से पहले इस तरह की स्थिति ने चिंता बढ़ा दी है। वैसे तो भाजपा में गुटबाजी और अंतर्कलह की खबरें नई बात नहीं हैं मगर इस बार सियासत ने जो करवट ली है उसने पार्टी के भीतर ही बहस छेड़ दी है। हालात ऐसे हैं कि कार्यकर्ता भी कहने लगे हैं कि किधर जाएं....। 

वैसे तो जिले की पांचों विधानसभाओं में भाजपा की आपसी तकरार नजर आ रही है लेकिन फिलहाल बात देवास की करते हैं जहां इन दिनों सांसद महेंद्र सिंह सोलंकी  सुर्खियों में हैं। धार्मिक आयोजनों के सहारे हिंदुत्व की तान छेडक़र सांसद राष्ट्रवाद का नारा बुलंद कर रहे हैं, जो पार्टी में चर्चा का विषय बना हुआ है। पहले सुंदरकांड करवाया तो बाद में शीलनाथ धूनी पर अखंड रामायण का पाठ हुआ। अब 6 दिसंबर को माता टेकरी पर वे बड़ा आयोजन करवा रहे हैं। 51 विद्वान दुर्गा सप्तशती का पाठ करेंगे। कन्या पूजन भी होगा। कन्या भोज का आयोजन किया जाएगा। 
File Picture - Chunari Yatra, Tekari













    
इसलिए चुनी माता टेकरी

देवास टेकरी पर कार्यक्रम रखने के पीछे यह बात सामने आ रही है कि देवास का केंद्र माता टेकरी है। कहा जाता है कि इसी के नाम से शहर का नाम देवास पड़ा। कुछ मौकों पर सांसद सोलंकी ये बात कह चुके हैं कि जब देवास का केंद्र माता टेकरी है तो इसी को केंद्र में रखकर विकास किया जाना चाहिए। माना जा रहा है कि इसी सोच के चलते सांसद ने माता टेकरी पर 6 दिसंबर को बड़े आयोजन की रूपरेखा बनाई। 6 दिसंबर हिंदुत्व के लिहाज से महत्वपूर्ण तारीख है और इसीलिए सांसद ने यह तारीख चुनी। 




बढ़ती जा रही राजनीतिक खींचतान ?
भाजपा में चर्चा इस बात की हो रही है कि सांसद सोलंकी और देवास विधायक गायत्रीराजे पवार के बीच राजनीतिक खींचतान चल रही है। इसकी वजह तो सामने नहीं आ पा रही लेकिन मौजूदा परिदृश्य में दोनों के बीच दूरी देखी जा रही है। बात इतनी बढ़ चुकी है कि अब इन दोनों के समझौते को लेकर भी संशय है। अब तक तो यह होता आया है कि सांसद जो भी रहा है मगर वह पैलेस की लक्ष्मण रेखा से बाहर नहीं जाता था लेकिन अब हालात बदलते नजर आ रहे हैं। इस बदलाव का फायदा पैलेस के विरोधी वे नेता उठाने में लगे है जो अरसे से अपनी राजनीतिक जमीन के साथ मजबूत कंधा तलाशने में जुटे हैं। यही वजह है कि पैलेस विरोधी नेता सांसद की चौखट पर दस्तक दे रहे हैं और विरोध की ङ्क्षचगारी बढ़ती जा रही है। कार्यकर्ता भी इसे लेकर बातें करते नजर आ रहे हैं। बड़ी बात यह भी है कि संगठन चुप्पी साधे हुए है और असहाय नजर आ रहा है। 

आने वाले साल हैं चुनावों के ... 
भाजपा की इस अंतर्कलह के बीच अहम सवाल यह है कि 2023 में विधानसभा और 2024 में लोकसभा चुनाव होने हैं। अभी की स्थिति के लिहाज से देवास में पैलेस के अलावा दूसरा कोई विकल्प पार्टी के पास नहीं है इस कारण 2023 के विधानसभा चुनाव में मौजूदा विधायक का टिकट तय माना जा रहा है लेकिन संशय 2024 के चुनाव  को लेकर है। भाजपा का एक धड़ा कह रहा है कि वर्तमान सांसद को दोबारा टिकट मिलना मुश्किल है तो सांसद समर्थक दावा करते नजर आ रहे हैं कि टिकट तय है। बीच-बीच म्में सांसद के विधानसभा चुनाव लडऩे की बातें भी सामने आती रहती हैं।   



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