जीतेगा कौन मतदाता है मौन - मोहन वर्मा


विगत लम्बे समय से चल रही चुनावी गतिविधियाँ अपने चरम के साथ अब उल्टी गिनती के अंतिम दौर में है जहाँ 28 नवम्बर को होने वाले चुनावों के साथ ही पहले चरण का पटाक्षेप हो जाएगा और मतदाताओं से लेकर प्रत्याशी तक सभी दूसरे चरण यानि परिणामों की प्रतीक्षा करने लगेंगे। इस बार चुनावों में कौन जीतेगा और कौन हारेगा इस बात पर मतदाता अभी मौन धारण किये हुए हैइन चुनावों में अगर सिर्फ देवास विधानसभा की बात की जाए और राजनीतिक विश्लेषण किया जाए तो यहाँ भाजपा दो भागों में बंटी हुई है। पहले भाग में वे लोग है जो बीते 28 वर्षों से पैलेस से और युवराज तुकोजीराव पवार से जुड़े रहे है । ये लोग आज भी युवराज की दोस्ती,कार्यशैली,दबंगई,और लोगों से उनकी मिलनसारिता के किस्से सुनाते नही थकते। और उसी का परिणाम है कि बीते 25 वर्षों तक अपने नेता को दीवानों की तरह चाहते रहे । उनके अवसान के बाद उनकी पत्नी श्रीमती गायत्रीराजे को विधायक बनाने और इस बार फिर उन्ही के प्रति पूरी निष्ठा और समर्पण से ये ही लोग जुटे है। दूसरे भाग में वे भाजपाई है जो राजतन्त्र के विरोध में रहे है और ये चाहते रहे है कि भाजपा राजतन्त्र से मुक्त होकर लोकतन्त्र की नीतियों पर चले । भाजपा में पैलेस के बाहर भी संगठन के अनुसार नेतृत्व विकसित हो । इनमे शरद पाचुनकर से लेकर दीलिप बांगर जैसे नेता शामिल है। इधर कांग्रेस की बात करें तो 90 के बाद यहाँ कांग्रेस लगभग हाशिये पर सिमट कर रह गई है। कांग्रेस की सारी गतिविधि कमलनाथ गुट के कद्दावर नेता सज्जनसिंह वर्मा और उनके कुशल शिष्य मनोज राजानी के मार्गदर्शन में होने लगी जहाँ बीते सालों में कोई दूसरा कद्दावर नेता बड़े फलक पर उभरकर नहीं आ सका । दिग्विजयसिंह गुट के जयसिंह ठाकुर (जो इस बार प्रत्याशी भी है) हों या फिर सिंधिया गुट का देवलिया परिवार, अर्जुनसिंह अजयसिंह गुट के भगवानसिंह ठाकुर हों या अरुण यादव गुट के शौकतहुसैन या फिर जयप्रकाश शास्त्री-रेखा वर्मा या और और नेता हों । भागों में खोये नेता जिले में लोगों के सामने अपना कद बड़ा नही कर पाये। अब बात शहर के विकास की करें तो काग्रेस का कहना है कि प्राधिकरण या निगम में बड़े पदों पर रहते हमने जो काम किये है भाजपा उन्हें भी अपने किये काम बता रही है जबकि भाजपा ने कुछ नही किया । जयसिंह ठाकुर तो सोशल मीडिया पर ललकार वीडियो के माध्यम से भाजपा उम्मीदवार को अपने अपने द्वारा किये विकास कार्यों को जनता को बताने के लिए खुले मंच पर आने की चुनौती भी दे रहे है । इधर गायत्री राजे भी आंकड़ों के माध्यम से हुए विकास को बताकर कह रही हैं कि मैंने जो घोषणाएं की थी वो पूरी की है और आगे भी करूंगी । मतदाता को ये सब सुनाई भी दे रहा है और दिखाई भी दे रहा है । उसके सामने विकास (?) भी है और बीते सालों से जस की तस खडी समस्याएं भी है। इस बार प्रदेश भर में कांग्रेस बदलाव के नाम पर वोट मांग रही है और भाजपा विकास के नाम पर मगर बदलाव या विकास के नाम पर मुहर लगाने वाला मतदाता बिलकुल चुप है। जो हल्ला सुनाई दे रहा है वो समर्थकों और उम्मीदवारों की धडकनों का है। यहाँ वहाँ गूंजते सवाल कि "जीतेगा कौन पर मतदाता है मौन", देखना रोचक होगा कि हमारा विधायक बनता है कौन ??


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