समस्या समाधान की ईच्छाशक्ति ही दिलायेगी जीत


देवास में इस बार के विधानसभा चुनावों में मतदाताओं की गंभीरता और दोनों ही दलों के उम्मीदवारों की मेहनत बता रही है कि मुकाबला सहज नही है जहाँ कांग्रेस इस बार आरपार की लड़ाई लड़ने और प्रदेश में सरकार बनाने के ख्वाब के साथ सपने पूरे करने की तेय्यारी में नजर आ रही है वहीं भाजपा भी बावजूद विरोधियों के तमाम नकारात्मक प्रचार के दो सौ पार के ख़्वाब के साथ फिर से सरकार बनाने की कवायद में है। अगर जिले में जीत की बात की जाए तो अंतहीन समस्याओं को दूर करने के थोथे वादों की जगह समस्या समाधान की दृढ़ इच्छा शक्ति ही जीत दिला सकती है। सकती है। देवास में भी विधानसभा चुनावों की गतिविधियों ने गति पकड़ी है। भाजपा की उम्मीदवार श्रीमती गायत्रीराजे पवार और कांग्रेस के जयसिंह ठाकुर दोनों ही चुनावों में अब कम बचे समय में अधिक से अधिक मतदाताओं तक पहुंचना चाहते है । दोनों का जनसम्पर्क जोरों पर है। अपने चुनावी का जनसम्पर्क जोरों पर है। अपने चुनावी प्रचार के दौरान जहाँ कांग्रेस के जयसिंह ठाकुर इस बार विकास के लिए बदलाव की बात पर वोट चाहते है तो भाजपा की श्रीमती गायत्री राजे भी अपने चुनावी वायदों में इस बार बेरोजगार और बंद पड़े उद्योगों को चालू करवाने की बात कह रही है. बहरहाल इधर इलेक्ट्रोनिक मीडिया से लेकर प्रिंट और और पोर्टलों पर चुनावी चौपाल और बहसों का सिलसिला चल रहा है जिसमे दोनों ही दलों के प्रमुखों को यहाँ वहाँ खड़े करके शहर और जिले की समस्याओं और विकास पर उन्हें घेरने की बात हो रही है। गौरतलब बात ये है कि इनमें भाग लेने वाले राजनेता न तो समस्याओं के निराकरण के लिए किये गये ठोस काम बता पा रहे है और न ही क्या और कैसा विकास किया या करेंगे इसपर मजबूती से अपना पक्ष रख पा रहे है । फिर भले वो कांग्रेसी हों या भाजपाई। देवास में शहरी क्षेत्र की समस्याओं की बात की जाए तो यहाँ बंद होते उद्योग,बेरोजगारी, पानी,सड़क से लेकर अतिक्रमण और भ्रष्टाचार जैसी समस्याएं झेलना लोगों की मजबरी बनी हुई है तो सोनकच्छ,हाटपिपलिया,बागली और खातेगांव के ग्रामीण क्षेत्रों में भी सड़क,पानी, बिजली के साथ किसानों की अंतहीन समस्याओं पर ध्यान देने वाला कोई नही है । बस समस्याओं और विकास पर उथली बहस हो रही है । अपनी ही पंक्तियाँ याद आती है - राजनीति और वोट वोट का खेल हुआ अब भारी.इनको उनको सहते रहना अपनी है लाचारी ऐसा भी नही है कि विकास के नाम पर ऐसा भी नही है कि विकास के नाम पर बोम पीटते दोनों ही दलों के कद्दावर नेता समस्याओं से अनजान हैं,बस कमी है तो इच्छाशक्ति की । कांग्रेस के समय प्रदेश में बिजली एक बड़ी समस्या थी तो आज भाजपा के समय में भ्रष्टाचार एक बड़ी समस्या है । शहर की बात करें तो ए बी रोड के गड्डे हर नागरिक को दिखाई देते है, बंद होते उद्योगों के कारण बढती बेरोजगारी सबको दिख रही है,शहर में बढ़ता अतिक्रमण, अनियन्त्रित यातायात, बसों की एजेंटी,सबको दिख रही है बस सिर्फ उन्हें ही नजर नही आ रही है जिन्हें आना चाहिए। ग्रामीण क्षेत्रों में स्कूल नही है, जो है वो साधनविहीन है। पीने का पानी नहीं है, चिकित्सा सुविधा नहीं है। सड़कें नहीं है । विपन्न किसान को खेती के लिए पर्याप्त बिजली,पानी नहीं मिल रहा । फसलों का सही और समय पर दाम नही मिल रहा । और ऐसा भी नही है कि ये सब इन बीते सालों में ही हो रहा है. कांग्रेस के समय में ही ये सब चला आ रहा है जो बीते पन्द्रह सालों में भी नहीं बदला.कांग्रेस हों या भाजपा दोनों ही दलों के नेता यहाँ से सरकार में मंत्री रहे है मगर देवास की किस्मत में समस्याओं के साथ विकास के दिवास्वप्न है । देवास के राजनेताओं में सबकुछ कर सकने की ताकत और रास्ते तो है मगर बस कमी इच्छाशक्ति की है। समस्याओं और विकास पर होने वाली बहस में दोनों ही दलों के नेता कहते नही थकते - हमने ये किया हमने वो किया, हम ये करेंगे हम वो करेंगे मगर लकबङ्ग का जवाब किसी के पास नही है । समस्याओं के समाधान और शहर के विकास की बातें तब तक संभव नही है जब तक दृढ़ इच्छा शक्ति के साथ इनके लिए प्रयास नहीं किया जाता ।


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