शहर सीनियर काजी द्वारा मुस्लिम समाज का भूमि घोटाला

देवास। शहर सीनियर कजात एहतमाम काजी इरफान एहमद अशरफी पिता निसार एहमद अशरफी द्वारा स्टेट से मिली कजात एहतमाम भूमि (भरण पोषण रख रखाव के लिए) जो कि देवास विकास प्राधिकरण की स्कीम में शामिल है। जिसका प्रकरण सुप्रीम कोर्ट में विचाराधीन है को काजी द्वारा अपनी पैतृक भूमि बताकर करोडों में बेची जा रही है का मामला संज्ञान में आया जिस पर जागरूक नागरिक पं. अजय शर्मा ने आपत्ति लेते हुए संबंधित विभागों में शिकायत कर उक्त भूमि को रोकने का प्रयास किया है। उल्लेखनीय है कि ग्राम बिलावली पटवारी हलका नं. 41 सर्वे नं. 203 रकबा 5.002 हेक्टेयर भूमि वर्ष 1930 से 39 के बीच तात्कालीन महाराज ने स्टेट भूमि शहर सीनियर काजी को भरण पोषण के लिए दान में दी थी। तब से अब तक समय समय पर काजी बदलते रहे शासकीय रेकार्ड में दर्ज हुई उक्त भूमि कजाक एहतमाम शहर सीनियर के नाम दर्ज रही है। वर्तमान काजी द्वारा जो कि काजी अधिनियम 1880 की धाराओं के तहत काजी की वैधानिक नियुक्ति नहीं है ने उक्त भूमि का इंदौर जाकर नोटरी वकील प्रदीप होल्कर इंदौर, गवाह संजय सोलंकी पिता घनश्याम सोलंकी गणेश नगर इंदौर से वर्ष 2013 में एक शपथ पत्र तैयार किया जिसमें काजी द्वारा स्पष्ट लिखा गया कि उक्त भूमि हमारी पैतृक होकर मेरे स्वयं की है जिस पर मेरा आधिपत्य है भूमि पूर्ण रूप से निर्विवादित है। यह शपथ पत्र काजी इरफान एहमद द्वारा वर्ष 2013 में भूमि व्यपवर्तन के लिए एसडीएम कार्यालय में प्रस्तुत किया। विभागीय विज्ञप्ति जारी हुई जिस पर पटवारी हलका नं. पुराना 17 नया 41 द्वारा स्पष्ट जांच रिपोर्ट दी। लिखा कि उक्त प्रश्रागत भूमि व्यक्तिगत निजी भूमि स्वामी स्वत्व की न होकर मुस्लिम समाज की है एवं साथ ही पं. अजय शर्मा द्वारा आरटीआई में जानकारी के माध्यम से आपत्ति दर्ज करवाकर व्यपवर्तन रूकवाया गया। बावजूद इसके भी काजी इरफान एहमद अशरफी द्वारा 24 दिसम्बर 2018 को एक बार फिर दैनिक अग्रिबाण समाचार पत्र इंदौर के पृष्ठ क्र.6 पर एक जाहिर सूचना एडव्होकेट संजय कुमार हार्डिया इंदौर द्वारा जारी की गई। जिसमें उक्त भूमि यूवी डेवकोन कंपनी के द्वारा काजी इरफान अशरफी निवासी देवास म.प्र. के स्वामित्व एवं आधिपत्य की कृषि भूमि ग्राम बिलावली तहसील व जिला देवास म.प्र. के पटवारी हलका नं. 41 सर्वे नं. 203 कुल रकबा 5.002 हेक्टेयर है को कुछ आंशिक धनराशि का भुगतान कर क्रय करने का अनुबंध लेख निष्पादित किया है। जाहिर सूचना पर पं. अजय शर्मा द्वारा 27.12.18 को लिखित आपत्ति पत्र दिनांक 31.12.18 को मधुर कोरियर एवं भारतीय डाकघर स्पीड पोस्ट एवं दिनांक 1.1.19 को भारतीय डाकघर रजिस्ट्री एडी द्वारा जाहिर सूचना एडव्होकेट संजय कुमार हार्डिया को भेजा गया। एवं दिनांक 3 जनवरी 19 को लिखित शिकायत जिला कलेक्टर को की गई साथ ही प्रतिलिपि अनुविभागीय अधिकारी एवं उप पंजीयक रजिस्ट्रार तथा तहसीलदार देवास को भी दी है। जिसमें कि उक्त भूमि का क्रय विक्रय रूकवाने व रजिस्ट्री पंजीयन व्यक्तिगत न होने देने का लिखा है। लिखा है कि उक्त भूमि स्टेट से मिली काजी के मात्र भरण पोषण के लिए संरक्षण मात्र में है। यह उक्त भूमि मुस्लिम समाज के कजाक एहतमाम के रूप में शासकीय रिकार्ड में दर्ज है। साथ ही म.प्र. राजपत्र दिनांक 22 अप्रैल 1994 में प्रकाशित विज्ञापन में भी देविप्रा की स्कीम में दर्ज है।


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