देवास में डिजाइनर और प्रोजेक्टर के सानिध्य में निगम व प्राधिकरण से चहेते ठेकेदारों को किया जा रहा है उपकृत ?

निगम में पदस्थ जिम्मेदारों में “भ्रष्टाचार में अव्वलता की होड़“ की दौड़ !









    


भ्रष्टाचार की बात हो और देवास का नाम ना आए ,और देवास में भी खासकर नगर निगम में तो वर्षों से मानो भ्रष्टाचार में अब्बलता की होड़ ही लगी रहती है,चाहे निगम में नया अधिकारी कर्मचारी हो चाहे पुराना हो! किंतु विगत एक डेढ़ वर्ष से प्राधिकरण व जिला चिकित्सालय भी भ्रष्टाचार में अब्बलता की होड़ की दौड़ में नगर निगम का साथ देने में लगे हुए हैं ! प्रशासनिक जानकारों की माने तो डिज़ाइनर व प्रोजेक्टर की मिलीभगत व तानाशाही के चलते, अपने खास अधीनस्थ , भ्रष्ट ,चाटुकार व दलाल अधिकारी कर्मचारियों के जरिए विशेष प्रजाति के चहेते ठेकेदारों के माध्यम से ही लगभग यह संभव है! जो कहीं ना कहीं सत्ताधारि जिम्मेदार जनप्रतिनिधियों को बदनाम करने की कूट रचित सोची समझी साजिश नजर आती है! बात चाहे निगम में रिटायरमेंट के बाद संविदा पर नियुक्त आर एस केलकर की हो, चाहे डी पी श्रीवास्तव की, जिन पर लोकायुक्त व ईओडब्लू सहित विभागीय जांच विचाराधीन होते हुए भी शान से निगम में पदस्थ है, और भ्रष्टाचार में मस्त हैं! बात चाहे निगम में पीडब्ल्यूडी, कॉलोनी सेल या बिल्डिंग परमिशन व नक्शा पास की हो, चाहे जल प्रदाय स्टोर या विद्युत विभाग की हो, बात चाहे सामान्य जनरल स्टोर व स्वास्थ्य विभाग स्टोर की हो, चाहे स्वच्छ भारत अभियान की हो, निगम के हरेक विभाग में कहीं कम तो कहीं ज्यादा पर कमीशन खोरी, घूसखोरी ,भ्रष्टाचार ,दलाली व चाटुकारिता पूर्ण अधिकार के साथ जजिया कर की तरह जबरन थोपने मैं माहिर लोगों को ही पद के विपरीत प्रभारी पदस्ती पर पदस्थ किया हुआ है! ठीक इसी प्रकार जिला अस्पताल व प्राधिकरण को भी इसी दौड़ में शामिल होना भी गंभीर जांच का विषय है। 

रेड क्रॉस से प्राधिकरण द्वारा जिला अस्पताल में बनवाई गई सीसी रोड पर डामरीकरण का पोंचा लगाया गया!

महात्मा गांधी जिला चिकित्सालय के मुख्य द्वार से सीएमएचओ कार्यालय तक अस्पताल के मुख्य मार्ग को सीमेंट कांक्रीट कर नई सडक़ का निर्माण रेडक्रॉस द्वारा कराया गया था। प्राप्त जानकारी अनुसार इसकी निर्माण एजेंसी देवास विकास प्राधिकरण रही। यहां यह बताना भी आवश्यक है की डिजाइनर निगमायुक्त विशाल सिंह चौहान देवीप्रा में प्रभारी सीईओ हैं और प्रोजेक्टर निगम प्रशासक चंद्रमौली शुक्ला देवीप्रा मैं प्रभारी प्रशासनिक अध्यक्ष है,लेकिन निगम के ही अधिकारी कर्मचारी के खासम खास चहेते ठेकेदार एसके कंस्ट्रक्शन जो सम्राट होटल के मालिक हैं को लगभग 35 लाख रुपए की लागत से इस सिमेंटीकृत रोड का निर्माण और गार्डन बनाने का ठेका कोरोना काल के समय किया गया था। सडक़ बने दो माह भी पूरे नहीं हुए और सडक़ निर्माण की पोल खुलकर सामने आ गई ! गार्डन का कोई अता पता नहीं,! सीमेंट कंक्रीट के मार्ग पर गिट्टी दिखने लगी, गिट्टी निकलते देख इस घटिया सडक़ निर्माण की जानकारी जागरूक पत्रकारों व आम नागरिकों द्वारा शासन प्रशासन को दी गई, जिसके चलते प्रशासनिक अधिकारियों ने ठेकेदार को परफारमेंस गारंटी के तहत इसको सुधार करने के निर्देश दिए , और ठेकेदार द्वारा इस सीमेंटीकृत मार्ग को सुधार करने के लिए इस पर डामरीकरण का पोंचा लगा दिया गया।

मार्ग का घटिया निर्माण कहीं ना कहीं यह साफ दर्शाता है कि जब निर्माण कार्य चल रहा था तब इसमें लगी सरकारी एजेंसी के इंजीनियर अधिकारी व कर्मचारी द्वारा निर्माण कार्य की गुणवंता की जांच ही नहीं की गई, जिससे ठेकेदार द्वारा खुलेआम घटिया काम किया जाता रहा, और उस पर बाद में ठेकेदार द्वारा लीपापोती की जाती है। निर्माण कार्य के समय ही गुणवत्ता की और ध्यान दिया जाता तो ठेकेदार घटिया निर्माण कार्य नहीं कर पाता, लेकिन क्या करें ठेकेदार हो या निर्माण एजेंसी काम के बदले अधिक दाम कमाने की लालच में चहते ठेकेदारों द्वारा घटिया कार्य भी बड़ी सफाई से कर दिये जाते हैं।

सीमेंट की सडक़ पर डामरीकरण करने के साथ ही सड़क के आसपास बने नालों का कार्य भी किया जा रहा है, लेकिन इस नाले का निर्माण भी कुछ ऐसा हो रहा है की नाले को बनाने के लिए डस्ट का प्रयोग किया जा रहा है। जबकि नियमानुसार नाला निर्माण के लिए मोटी रेत या चूरी या बालू रेत का उपयोग करना था, किंतु विभाग के जिम्मेदार आला अधिकारी निर्माण कार्य में ठेकेदार के पैसा बचा रहे हैं जिससे उनके कार्य की दक्षता सामने दिखने लगी है।
इतना ही नहीं अस्पताल में एक पार्किंग बना हुआ था, कोरोना काल के दौरान एक ठेकेदार से यातायात थाना प्रभारी सुप्रिया चौधरी ने लेवल कराने का कहा था, किंतु लेवल नहीं हो पाया बात को हवा हवाई कर दी थी, जिसके बाद आज तक लेवल करने का कार्य अधर में है वहीं पार्किंग वहां से खत्म होने के बाद अब अस्पताल के मुख्य द्वार तक वाहनों का जमावड़ा पुन: शुरू कर दिया गया है।

खासकर अस्पताल में कार्यरत डॉक्टर से लेकर कर्मचारी तक अपने वाहन मुख्य द्वार के सामने ऐश के साथ खड़े करते हैं, वहीं कुछ ऐसे कर्मचारी भी है जो इमरजेंसी वार्ड के सामने वाहन खड़े कर देते हैं। ऐसे में यहां मरीज को लेकर आ रही एंबुलेंस को काफी परेशानियां होती है।
एक और कलेक्टर चन्द्रमौली शुक्ला कहते हैं कि कोरोना की तीसरी लहर आने से पूर्व जिला अस्पताल में सभी प्रकार से व्यवस्थाएं सुचारू रूप से होगी, लेकिन यहां की हालत देखने पर ऐसा प्रतीत नहीं होता है की अस्पताल की हालत में कोई सुधार हो रहा है! अस्पताल के मेन गेट पर जानवरों के आगमन से बचाव के लिए लोहे के पाईप लगाए गए हैं, लेकिन उनकी हालत यह है की यहां पर जानवर आसानी से अस्पताल परिसर में प्रवेश कर लेते हैं। इन लोहे के पाईपों को देखने पर लगता है कि यहां पर पाईप नहीं है बल्कि लोहे की जाल बिछाई गई है जो वाहनों के गतिअवरोधक का कार्य कर रही है। अब देखना यह होगा कि जिला कलेक्टर देवीप्रा के प्रशासनिक अध्यक्ष एवं देवीप्रा प्रभारी सीईओ कोई ठोस कदम उठाते हैं या नहीं…!
इस संबंध में देवास विकास प्राधिकरण वर्तमान अधिकारियों से चर्चा करना चाही लेकिन किसी ने भी फोन उठाना उचित नहीं समझा।
यह कार्य देवास विकास प्राधिकरण के माध्यम से किसी ठेकेदार द्वारा कराया जा रहा है, यह हमारे स्वास्थ्य विभाग का मामला नहीं है, आप विकास प्राधिकरण के अधिकारी से बात करें।

देवास विकास प्राधिकरण में घटिया कार्य पहली बारिश मैं ही चूने लगी छत.,…,.!

देवास विकास प्राधिकरण में वर्तमान में डिजाइनर निगम आयुक्त विशाल सिंह चौहान प्रभारी सी ई ओ है, तो साथ में प्रोजेक्टर निगम प्रशासक चंद्रमौली शुक्ला देवीप्रा मैं प्रभारी प्रशासनिक अध्यक्ष हैं ,जो कि इन दोनों जिम्मेदार अधिकारी पदाधिकारि के द्वारा पदभार संभालते ही देवास विकास प्राधिकरण विभाग सहित चामुंडा कंपलेक्स बिल्डिंग का कायाकल्प किया गया ! जिसमें अपने खास विशेष प्रजाति के चहेते ठेकेदारों को लाखों रुपए का ठेका दिया गया जिसमें पीओपी सीलिंग, वाटर प्रूफिंग, रंगाई पुताई, रिनोवल एवं सजावट गमले पौधे, व खिड़कियों एवं दरवाजों के पर्दे ,केविन बनाना,एवं बंद पड़ी कॉलोनियों में सड़क नाली व अन्य निर्माण कार्य करवा कर उपकृत किया गया ! कार्य किए अभी दो-तीन महीने ही हुए हैं की पहली बारिश में ही प्राधिकरण कार्यालय में ही वाटर प्रूफिंग सीलिंग पीओपी की पोर्न खुलकर सामने आ गई, और आवक जावक एवं सीईओ व अध्यक्ष कक्ष के सामने ही छत से दीवाल पर पानी की धार बहने लगी है !जिस पर जिम्मेदारों की कोई जवाबदारी आज दिनांक तक सामने नहीं आई और ना ही ठेकेदार पर लापरवाही की कार्यवाही ही की गई है, इतना ही नहीं विकास प्राधिकरण के सभी अधिकारी कर्मचारियों सहित सीईओ व अध्यक्ष भी इस नजारे को देखकर अनदेखा कर रहे हैं !हमारे द्वारा विभाग में जानकारी दी गई के ठेकेदार की लापरवाही छत चूने के रूप में सरेआम दिख रही है, बावजूद इसके कोई कार्यवाही होती हुई दिखाई नहीं दे रही है! अब देखना यह होगा कि डिजाइनर सीईओ और प्रोजेक्टर अध्यक्ष इस लापरवाही व भ्रष्टाचार मैं लिफ्त ठेकेदार व जिम्मेदारों पर कोई ठोस कार्रवाई करते हैं या…,?


          





(समाचार के संबंध में किसी भी जानकारी के लिए लेखक से संपर्क किया जा सकता है।)


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